प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी पांच साल बाद पहली रूस यात्रा है। इससे पहले उन्होंने 2019 में व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था। यूक्रेन संघर्ष के बावजूद यह उनकी पहली रूसी यात्रा है। इस यात्रा के दौरान मोदी और पुतिन की मुलाकात से कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
चीन का एंगल:
मोदी और पुतिन की मुलाकात में सबसे अहम चर्चा का विषय चीन हो सकता है। चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण भारत के लिए हमेशा चिंता का विषय रहा है। चीन अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत की सीमाओं के नजदीक गतिविधियां बढ़ा रहा है। भारत नहीं चाहता कि चीन का प्रभाव उस पर पड़े। इस मामले में रूस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है क्योंकि रूस और चीन के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। पिछले दो महीनों में पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दो बार मुलाकात हो चुकी है और उनका द्विपक्षीय व्यापार 240 अरब डॉलर से ऊपर जा चुका है।
भारत-रूस के संबंध:
भारत और रूस ऐतिहासिक रूप से रक्षा, सामरिक और रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदार रहे हैं। दुनिया का जियोपॉलिटिकल स्थिति भी बदल चुकी है। रूस यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है और इजरायल और हमास के बीच गाजा संघर्ष चल रहा है। इन सभी मुद्दों पर दुनिया बंटी हुई है। भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जिसकी यूक्रेन, रूस, इजरायल, अमेरिका सभी से मित्रता है।
कूटनीति और ‘लेन-देन’ की रणनीति:
कूटनीति हमेशा ‘लेन-देन’ की रणनीति पर चलती है। चीन के एंगल को देखते हुए जहां भारत के लिए रूस मददगार हो सकता है, वहीं यूक्रेन युद्ध में रूस को भारत की जरूरत है। रूस अच्छी तरह जानता है कि चीन का व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी अमेरिका है और अमेरिका को एशिया में भारत की जरूरत है। इसी तरह भारत भी चीन के साथ सामरिक स्थिति को देखते हुए अमेरिका का बड़ा रणनीतिक साझेदार है।
यूक्रेन युद्ध और रूस की शर्तें:
रूस यूक्रेन युद्ध को अपनी शर्तों और तरीके से समाप्त करने के इच्छुक है। लेकिन पुतिन अब नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक का इंतजार करेंगे। यदि डोनाल्ड ट्रंप लौटते हैं तो रूस के लिए ज्यादा मुफीद रहेगा। सीजफायर टेबल पर अमेरिका जैसे देशों के साथ पुतिन की डील होगी तो उस वक्त भारत जैसे मित्र देशों से उनको उम्मीद होगी।
मोदी-पुतिन की दोस्ती:
करीब एक दशक पहले जब मोदी और पुतिन की पहली मुलाकात हुई थी, तब से उनकी पर्सनल कैमिस्ट्री जबर्दस्त रही है। पांच साल बाद यह मोदी की पहली रूस यात्रा है। 22वां भारत-रूस शिखर सम्मेलन तीन वर्षों के बाद हो रहा है, जिसमें रक्षा, निवेश, ऊर्जा सहयोग, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण दायरे की समीक्षा होगी।
पश्चिम की ईर्ष्या:
रूस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा को लेकर दावा किया कि पश्चिमी देश इस यात्रा को ‘ईर्ष्या’ से देख रहे हैं। पेस्कोव ने कहा कि पश्चिमी देश इस यात्रा को करीब से देख रहे हैं और इसे बहुत महत्व देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। चीन के एंगल, यूक्रेन युद्ध, और वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका इस यात्रा को और भी महत्वपूर्ण बना देते हैं। मोदी और पुतिन की मुलाकात से भविष्य में भारत और रूस के संबंध और मजबूत हो सकते हैं। इस मुलाकात के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच नए समझौतों और साझेदारियों की उम्मीद की जा सकती है।