बिहार के सारण लोकसभा सीट पर इस बार का चुनावी माहौल बेहद गरमा गया है। आरजेडी उम्मीदवार और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की बेटी, रोहिणी आचार्य, ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर उन्हें खरोंच भी आई तो उसके लिए भाजपा जिम्मेदार होगी। रोहिणी आचार्य के बयान ने राजनीतिक माहौल को और भी गरम कर दिया है और इस पूरे प्रकरण ने चुनावी हिंसा को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
रोहिणी आचार्य का बयान और बीजेपी पर आरोप
रोहिणी आचार्य ने कहा, “मुझ पर डंडे चलाए गए, मुझे गालियां दी गईं। अगर मुझे एक खरोंच भी आई तो भाजपा के लोग जिम्मेदार होंगे।” उन्होंने आगे कहा कि अगर उन्हें कुछ होता है तो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी और बिहार सरकार जिम्मेदार होंगे। रोहिणी आचार्य का यह बयान न केवल बीजेपी के खिलाफ गंभीर आरोप है बल्कि यह बिहार की राजनीति में बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति को भी दर्शाता है।
घटना का पूरा मामला

सारण लोकसभा सीट के लिए पांचवें चरण की वोटिंग के दौरान आरजेडी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी। 21 मई की सुबह फिर से आरजेडी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें गोलीबारी की घटना भी शामिल थी। इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पुलिस ने हिंसा में इस्तेमाल की गई बंदूक बरामद कर ली थी।
बीजेपी ने रोहिणी आचार्य और उनके समर्थकों पर बूथ लूटने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस ने रोहिणी आचार्य के खिलाफ दो केस दर्ज किए थे। एक केस बीजेपी कार्यकर्ता मनोज सिंह की तरफ से दर्ज करवाया गया था और दूसरा मामला जिला प्रशासन की तरफ से दर्ज किया गया था। इस मामले में भाजपा और आरजेडी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामले दर्ज करवाए हैं।
चुनावी हिंसा और प्रशासन की कार्रवाई

सारण की इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी थी, जो 25 मई की रात 12 बजे तक लागू रही। चुनाव आयोग ने सारण हिंसा मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए एसपी गौरव मंगला का तबादला कर दिया। इस कार्रवाई के पीछे चुनाव आयोग का निर्देश था और राज्य सरकार ने इस पर तुरंत अमल किया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
रोहिणी आचार्य के बयान के बाद भाजपा ने भी उन पर आरोप लगाए हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि रोहिणी आचार्य और उनके समर्थक चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, रोहिणी आचार्य के समर्थकों का कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ता जानबूझकर उन्हें निशाना बना रहे हैं और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।
चुनावी माहौल और भविष्य की दिशा

सारण की घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और तनाव का होना अब सामान्य हो गया है? इस प्रकार की घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं और इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। इस प्रकार की घटनाओं से न केवल उम्मीदवारों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है बल्कि आम जनता का भी चुनावी प्रक्रिया पर से विश्वास उठता है।
सारण लोकसभा सीट पर हुई हिंसा और रोहिणी आचार्य के बयान ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। इस प्रकरण ने चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और तनाव को एक बार फिर से उजागर किया है। यह घटना न केवल राजनीतिक दलों की रणनीतियों को चुनौती देती है बल्कि चुनाव आयोग और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े करती है। लोकतंत्र की सच्ची शक्ति तभी बनी रह सकती है जब चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और हिंसा-मुक्त हो। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे और चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखने के प्रयास किए जाएंगे।