इमान खलीफ की कहानी प्रेरणादायक और संघर्षों से भरी है। उनका जीवन एक साधारण अल्जीरियाई गांव से शुरू हुआ, जहां पर उनके परिवार की स्थिति बहुत ही साधारण थी। उन्होंने अपने बचपन में रोटी बेचने का काम किया, जिससे उनका जीवन यापन हो सके। उनके परिवार और समुदाय ने मुक्केबाजी को केवल पुरुषों का खेल माना और महिलाओं को इसमें हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी।
इमान खलीफ ने अपने समुदाय की इस धारणाओं को गलत साबित करने का फैसला किया। उन्होंने ठान लिया कि वे मुक्केबाजी में अपना नाम रोशन करेंगी और यह साबित करेंगी कि महिलाएं भी इस खेल में पुरुषों की तरह सफल हो सकती हैं। इमान का यह सफर आसान नहीं था। उन्हें कई कठिनाइयों और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
पेरिस ओलंपिक 2024 में इमान खलीफ ने इटली की एंजेला कैरिनी के खिलाफ मुकाबला किया। यह मुकाबला महिला मुक्केबाजी स्पर्धा में था और छठे दिन आयोजित हुआ। इस मुकाबले में इमान ने अपनी ताकत और कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया। उनके प्रहार इतने जबरदस्त थे कि इटली की एंजेला कैरिनी की नाक टूट गई और उन्होंने मैच को बीच में ही छोड़ दिया। एंजेला ने 46 सेकेंड के अंदर ही मैच छोड़ दिया और कहा कि यह अन्याय है और उन्होंने इस तरह का प्रहार पहले कभी नहीं झेला था।
इमान खलीफ के लिए यह मुकाबला बेहद महत्वपूर्ण था। उन्होंने साबित कर दिया कि वे कितनी बहादुर और मजबूत महिला हैं। उनका कहना है कि वे पूरी दुनिया को यह दिखाना चाहती थीं कि महिलाएं भी किसी भी खेल में पुरुषों से कम नहीं होतीं। इमान ने अपने गांव और परिवार की धारणाओं को तोड़ा और यह साबित किया कि महिलाओं की शक्ति किसी भी क्षेत्र में अद्वितीय होती है।
इस मुकाबले के बाद सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ। लोग दो हिस्सों में बंट गए। कुछ लोग इमान खलीफ की तारीफ कर रहे थे, वहीं कुछ लोग एंजेला कैरिनी के समर्थन में बोल रहे थे। एंजेला ने इमान से हाथ भी नहीं मिलाया और कहा कि उन्होंने यह मैच अपनी जान बचाने के लिए छोड़ा है। यह मुकाबला ओलंपिक इतिहास का सबसे विवादास्पद मुकाबला बन गया।
इमान खलीफ की नज़रें अब पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है कि कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, बशर्ते उसमें मेहनत और दृढ़ संकल्प हो। इमान का यह सफर सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो यह साबित करता है कि यदि किसी के पास इच्छाशक्ति हो, तो वे किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।
इमान खलीफ ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में योग्यता निर्धारित करने के लिए टेस्टोस्टेरोन टेस्ट में पास नहीं हो पाई थीं, जिससे वे उस चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाई थीं। यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं। उनका संघर्ष और साहस यह दिखाता है कि एक सच्चा खिलाड़ी कभी हार नहीं मानता।
इमान की कहानी यह साबित करती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें हार नहीं माननी चाहिए और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहना चाहिए। उनका यह सफर सभी महिलाओं को प्रेरित करता है कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।