नीट परीक्षा के संदर्भ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक अभ्यर्थी ने अपने परिणाम को लेकर जाली दस्तावेजों का सहारा लिया और ओएमआर शीट फटे होने का दावा किया। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) को कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
मामले का प्रारंभिक विवरण
छात्रा आयुषी पटेल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि एनटीए ने उसकी ओएमआर उत्तर पुस्तिका को फटा हुआ पाया और इस कारण उसका परिणाम घोषित नहीं किया जा सका। इस संदर्भ में, छात्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें उसने अपने आरोपों को दोहराया और एनटीए पर अनियमितताओं का आरोप लगाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कई नेताओं, जिनमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी शामिल थीं, ने इस मुद्दे को उठाया।
याचिका की मांगें
आयुषी पटेल ने अपनी याचिका में मांग की कि उसकी ओएमआर शीट का मैन्युअल मूल्यांकन किया जाए और एनटीए के खिलाफ जांच की जाए। उसने एडमिशन के लिए काउंसलिंग बंद करने की भी मांग की थी। याचिका के समर्थन में उसने दावा किया कि उसे एनटीए से एक मैसेज मिला था, जिसमें कहा गया था कि उसकी ओएमआर शीट फटी हुई है और इस कारण उसका परिणाम घोषित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट की कार्रवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने 12 जून को एनटीए को छात्रा के मूल अभिलेख पेश करने का आदेश दिया। इस आदेश के अनुपालन में, एनटीए के उपनिदेशक संदीप शर्मा ने हलफनामे के साथ छात्रा के मूल दस्तावेज पेश किए। दस्तावेजों की जांच के बाद, कोर्ट ने पाया कि छात्रा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसे खेदजनक बताते हुए कहा कि एनटीए इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
एनटीए की प्रतिक्रिया
एनटीए ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता छात्रा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला एजेंसी ने पहले ही ले लिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जाली दस्तावेजों के आधार पर याचिका दायर करने के मामले में एनटीए को कानूनी कार्रवाई करने से कोई नहीं रोक सकता। एनटीए ने अपनी जांच में पाया कि छात्रा की ओएमआर शीट सही और सुरक्षित थी, और फटे होने का दावा निराधार था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
आयुषी पटेल द्वारा किए गए वीडियो पोस्ट ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाई। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया और एनटीए पर सवाल खड़े किए। हालांकि, एनटीए ने 12 जून को स्पष्ट कर दिया कि उनका पेपर सही सलामत है और यह अभ्यर्थी की ओर से जालसाजी का मामला है। इस खुलासे के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि आयुषी पटेल ने झूठे आरोप लगाकर परिणाम को प्रभावित करने की कोशिश की थी।
इस मामले ने एक बार फिर से यह दिखाया कि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी महत्वपूर्ण है। आयुषी पटेल द्वारा जाली दस्तावेज पेश करने और ओएमआर शीट फटे होने का झूठा दावा करने की घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि ऐसे मामलों में सख्त जांच और कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। एनटीए ने सही तरीके से मामले की जांच की और वास्तविकता को उजागर किया। हाईकोर्ट के फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ कि जाली दस्तावेजों के आधार पर याचिका दायर करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।
यह मामला एक सबक है उन सभी के लिए जो अपने स्वार्थ के लिए शिक्षा प्रणाली का दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही, यह घटना यह भी सुनिश्चित करती है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।