राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) 2024 के पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी नीट परीक्षा को लेकर विवाद जारी है, और मायावती ने पुरानी परीक्षा व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी और मायावती की नई मांग के पीछे का कारण।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी पेपर लीक केस में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह परीक्षा दोबारा नहीं कराई जाएगी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बड़ी गड़बड़ी साबित नहीं हो सकी है और दोबारा परीक्षा कराना 24 लाख छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इस फैसले के बाद परीक्षा रद्द होने की अटकलें खत्म हो गईं और अब नीट यूजी की नई मेरिट लिस्ट जारी होगी।
मायावती की प्रतिक्रिया
बसपा चीफ मायावती ने इस फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्रीयकृत मेडिकल नीट यूजी-पीजी परीक्षा को समाप्त कर इसकी जगह पुरानी व्यवस्था क्यों न बहाल हो, जैसा कि कई राज्य सरकारों की मांग है। मायावती ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर पोस्ट किया, “ऑल-इंडिया नीट-यूजी मेडिकल परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर स्वाभाविक तौर पर सड़क से लेकर संसद व सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला गर्माया रहा। अब नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन लाखों परीक्षार्थियों व उनके परिवार वालों को इसको लेकर हुआ दुख-दर्द व मानसिक पीड़ा हमेशा सताएगी।”
परीक्षा व्यवस्था की समस्या
मायावती ने आगे लिखा, “केंद्र मेडिकल की इतनी अहम परीक्षा सही से कराने के मामले में देश को आश्वस्त कर पाने में अभी तक विफल है, जो समस्या को और गंभीर बना रहा है। अतः केन्द्रीयकृत मेडिकल नीट यूजी-पीजी परीक्षा को समाप्त कर इसके लिए पुनः पुरानी व्यवस्था क्यों न बहाल हो, जैसा कि कई राज्य सरकारों की मांग है।”
पुरानी व्यवस्था की बहाली
मायावती की मांग है कि नीट परीक्षा की जगह पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाए। इस पुरानी व्यवस्था में राज्यों की अपनी-अपनी प्रवेश परीक्षाएं होती थीं, जिससे छात्रों को उनके राज्य में ही परीक्षा देने का मौका मिलता था। इसके अलावा, राज्यों की परीक्षाओं में गड़बड़ी की संभावना भी कम रहती थी क्योंकि राज्यों के अधिकारी अपनी परीक्षा की निगरानी करते थे।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यूजी 2024 को लेकर 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की और विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। अंत में पीठ ने फैसला सुनाया कि परीक्षा को दोबारा आयोजित नहीं किया जाएगा।
परीक्षा की गड़बड़ी और छात्रों की समस्याएं
नीट-यूजी परीक्षा में हुई गड़बड़ी ने छात्रों और उनके परिवार वालों को मानसिक तनाव में डाल दिया है। परीक्षा में शामिल हुए लाखों छात्रों के भविष्य पर यह गड़बड़ी एक सवालिया निशान खड़ा कर देती है। मायावती की यह मांग इस तनाव और समस्याओं को देखते हुए है, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी गड़बड़ी से बचा जा सके।
नीट-यूजी पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मायावती की मांग पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की है, ताकि छात्रों को परीक्षा देने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि छात्रों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं और मायावती की मांग पर सरकार का क्या रुख होता है।
इस विवाद ने एक बार फिर से शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है, और यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। मायावती की मांग पर विचार करना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है।