नीट पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन और उसके बेटे शिव कुमार पर लगे आरोपों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड स्थित भुतहाखार गांव के रहने वाले संजीव मुखिया का नाम इस स्कैंडल में बार-बार सामने आ रहा है। संजीव मुखिया का बेटा शिव कुमार पहले से ही बीपीएससी पेपर लीक मामले में जेल में बंद है, जबकि पुलिस अब संजीव मुखिया को पकड़ने की कोशिश कर रही है।
संजीव मुखिया का इतिहास
संजीव मुखिया उर्फ लूटन का नाम कोई नया नहीं है। साल 2016 में सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में भी उसका नाम सामने आया था। इसके बाद, बीपीएससी समेत अन्य परीक्षाओं में भी पेपर लीक कराने का आरोप उस पर लगा। इन आरोपों के कारण वह पहले भी जेल जा चुका है। उसकी गतिविधियों से गांव के लोग खासे नाराज हैं और मानते हैं कि उसने पूरे जिले का नाम बदनाम किया है।
चपरासी से मुखिया बनने का सफर
संजीव मुखिया उर्फ लूटन पहले फोर्थ ग्रेड का कर्मचारी था। पैसे और राजनीति के बल पर उसने अपनी जगह बनाई। उसने चुनाव लड़ा और पंचायत का मुखिया बन गया। उसकी पत्नी ममता कुमारी ने हरनौत सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा, जिसमें उसे हार का सामना करना पड़ा। संजीव मुखिया ने अपनी पत्नी को लोजपा का टिकट दिलाया था, लेकिन चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई।
पेपर लीक के आरोप
नीट पेपर लीक मामले में संजीव मुखिया और उसके बेटे शिव कुमार का नाम आने से पुलिस की रडार पर दोनों बाप-बेटे हैं। पुलिस का मानना है कि संजीव मुखिया ने देशभर में बड़ा नेटवर्क बनाया हुआ है, जो परीक्षाओं के पेपर लीक करने में शामिल है। इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस को संजीव मुखिया को पकड़ने की उम्मीद है।
पुलिस की कार्यवाही
पटना पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस को शक है कि पेपर लीक करने में संजीव मुखिया और उसके बेटे शिव कुमार की प्रमुख भूमिका है। शिव कुमार बीपीएससी पेपर लीक मामले में पहले से ही जेल में बंद है, लेकिन संजीव मुखिया फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। संभावना जताई जा रही है कि संजीव मुखिया जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा।
शिक्षा मंत्रालय की संज्ञान
शिक्षा मंत्रालय ने आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी को रिपोर्ट के साथ दिल्ली तलब किया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और इसे पूरी तरह से जांचने और दोषियों को सजा दिलाने की मंशा रखती है।
गांव का हाल
गांव के लोग संजीव मुखिया और उसके बेटे से नाराज हैं। उनका कहना है कि दोनों ने पूरे जिले का नाम बदनाम किया है। गांव वालों के अनुसार, संजीव मुखिया पहले फोर्थ ग्रेड का कर्मचारी था और बाद में चुनाव लड़कर मुखिया बन गया। पैसे और राजनीति के बल पर उसने अपनी जगह बनाई और अपने काले कारनामों को अंजाम दिया।
नीट पेपर लीक कांड ने न केवल शिक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि कैसे पैसे और पावर के बल पर लोग अपने काले कारनामों को अंजाम दे सकते हैं। संजीव मुखिया और उसके बेटे शिव कुमार का नाम इस कांड में सामने आने से पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। पुलिस की कार्यवाही जारी है और उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को जल्द ही सजा मिलेगी। इस मामले ने यह भी दिखा दिया है कि सरकार और प्रशासन को परीक्षा प्रक्रिया को और भी अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।