होने की खबर आने के बाद से ही संजीव मुखिया का कोई पता नहीं है। 6 मई के बाद से वह अपने इंस्टीट्यूट नहीं आया। यह मामला न केवल शिक्षा प्रणाली की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है।
संजीव मुखिया का गायब होना कई सवाल खड़े करता है। आखिरकार, वह इतना महत्वपूर्ण आरोपी होते हुए भी कैसे फरार हो गया? संजीव मुखिया नालंदा के रहने वाले हैं और एमएससी एग्रीकल्चर पास हैं। वह बिहार के एक बड़े एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर काम करते थे। 6 मई को, संजीव मुखिया ने अपने इंस्टीट्यूट से कुछ परेशानी होने की बात कहकर छुट्टी ली थी। इसके बाद वह गायब हो गए और उनका कोई अता-पता नहीं है।
14 मई को, एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट ने संजीव मुखिया को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे इंस्टीट्यूट नहीं आने का कारण पूछा गया। 18 मई को, संजीव कुमार के पिता ने इंस्टीट्यूट को एक एप्लीकेशन के माध्यम से जवाब दिया, जिसमें बताया गया कि संजीव कुमार शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं और इसलिए मेडिकल लीव पर हैं। हालांकि, अभी तक संजीव मुखिया की छुट्टी को इंस्टीट्यूट के एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट द्वारा अप्रूव नहीं किया गया है।
एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट ने 6 जून के बाद फिर से संजीव मुखिया को एक पत्र भेजा और जानने की कोशिश की कि वह ड्यूटी पर कब तक आएंगे। लेकिन, संजीव कुमार की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पूरे मामले ने नीट परीक्षा की विश्वसनीयता पर गहरा असर डाला है और विपक्षी दल भी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
नीट पेपर लीक मामला शिक्षा जगत के लिए एक बड़ा झटका है। नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में पेपर लीक होने से छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाता है। इस मामले में संजीव मुखिया का किंगपिन होना और उनका फरार होना स्थिति को और भी गंभीर बना देता है। यह घटना छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।
संजीव मुखिया का अब तक लापता रहना कई सवाल खड़े करता है। क्या वह वाकई में बीमार हैं या फिर वह अपने अपराधों से बचने के लिए छिप रहे हैं? उनकी मेडिकल लीव का आवेदन और उनके पिता का इंस्टीट्यूट को जवाब देना भी शक के घेरे में है। क्या यह केवल एक बहाना है या वास्तव में संजीव मुखिया किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं?
इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। एक आरोपी जो इतने बड़े मामले में शामिल है, वह कैसे इतनी आसानी से गायब हो सकता है? प्रशासन और पुलिस को संजीव मुखिया की तलाश में तेजी लानी चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए। ताकि नीट परीक्षा में शामिल हुए छात्रों और उनके अभिभावकों को न्याय मिल सके।
नीट पेपर लीक का मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं है, यह पूरे सिस्टम की खामियों को उजागर करता है। ऐसे मामलों में शामिल लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हिम्मत न कर सके। इसके साथ ही, प्रशासन को भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना होगा ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
नीट पेपर लीक का किंगपिन संजीव मुखिया का अभी तक लापता रहना प्रशासन और न्याय प्रणाली दोनों के लिए एक चुनौती है। इस मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन को तेजी से कार्यवाही करनी चाहिए और संजीव मुखिया को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए। ताकि नीट परीक्षा की विश्वसनीयता बनी रहे और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।