नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और संकट कोई नई बात नहीं है, और एक बार फिर देश सियासी उठापटक के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ 12 जुलाई को प्रतिनिधि सभा में बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे। इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि, प्रभाव और संभावनाओं पर गहराई से नज़र डालते हैं।
प्रचंड का बहुमत परीक्षण
प्रधानमंत्री प्रचंड ने संविधान के अनुच्छेद 100 (2) के तहत बहुमत परीक्षण का अनुरोध किया है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री जिस दल का नेतृत्व कर रहे हैं, वह विभाजित हो जाता है या कोई राजनीतिक दल गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लेता है, तो प्रधानमंत्री को 30 दिन में प्रतिनिधि सभा में बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश करना होगा। इसी क्रम में, प्रचंड ने 12 जुलाई को बहुमत परीक्षण का सामना करने का निर्णय लिया है।
गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी
सियासी संकट की शुरुआत तब हुई जब प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने समर्थन वापस ले लिया। नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) ने सोमवार को गठबंधन सरकार बनाने के लिए समझौता किया। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के 89 जबकि सीपीएन-यूएमएल के 78 सदस्य हैं। प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के 32 सांसद हैं। इस समर्थन के बावजूद, प्रचंड को बहुमत साबित करने के लिए 138 वोट की जरूरत होगी।
नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल में बीते 16 साल में 13 सरकारें रही हैं, जिससे देश की राजनीतिक प्रणाली की नाजुक स्थिति का पता चलता है। देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए यह समय महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रचंड को अपने पांचवें कार्यकाल में बहुमत साबित करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह न केवल प्रधानमंत्री की स्थिति को बल्कि पूरे देश की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेगा।
संभावनाएं और चुनौतियां
1. बहुमत साबित करने की चुनौती:
प्रचंड के पास वर्तमान में केवल 63 सांसदों का समर्थन है, जबकि बहुमत के लिए उन्हें 138 वोट की जरूरत है। यह एक बड़ी चुनौती है और इसके लिए उन्हें अन्य दलों का समर्थन हासिल करना होगा।
2. गठबंधन सरकार की नाजुकता:
नेपाल में गठबंधन सरकारें अक्सर नाजुक होती हैं और यह संकट इस नाजुकता को और बढ़ा सकता है। यदि प्रचंड बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं, तो देश में एक और सरकार का पतन हो सकता है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ेगी।
3. देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति:
राजनीतिक अस्थिरता का सीधा असर देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर पड़ता है। निवेशकों का विश्वास डगमगा सकता है और विकास कार्य रुक सकते हैं। जनता में असंतोष और बढ़ सकता है।
प्रचंड की राजनीतिक यात्रा
पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ नेपाल की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया और 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रचंड ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और उनकी वर्तमान स्थिति भी एक और चुनौतीपूर्ण दौर है।
नेपाल में वर्तमान सियासी संकट एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। प्रधानमंत्री प्रचंड का बहुमत परीक्षण देश की राजनीतिक दिशा को तय करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं और क्या वे समर्थन हासिल कर पाते हैं। यदि वे सफल होते हैं, तो उनकी सरकार को स्थिरता मिलेगी और देश को राजनीतिक स्थिरता की ओर ले जाया जा सकेगा। अन्यथा, नेपाल एक और राजनीतिक संकट का सामना करेगा, जो देश की प्रगति और विकास को बाधित करेगा। नेपाल के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम भविष्य की दिशा को तय करेंगे।