नई दिल्ली में शनिवार सुबह 10 बजे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक राष्ट्रीय विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, लेकिन इसमें भी सियासत की गर्माहट साफ दिखी। खासकर, I.N.D.I.A. ब्लॉक के कई मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच गईं, जबकि INDI गठबंधन के एक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बैठक में शामिल हुए।
ममता बनर्जी का रुख

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वह इस बैठक में बंगाल की समस्याओं और जरूरतों को उठाएंगी। उन्होंने कहा, “अगर मेरी बात सुनी गई तो ठीक, नहीं तो मैं मीटिंग बीच में ही छोड़कर बाहर निकल जाऊंगी।” ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के साथ बैठक की और फिर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के घर जाकर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से भी मिलीं। ममता बनर्जी ने नीति आयोग को भंग करने की राय दी और कहा कि इसके पास कोई अधिकार नहीं है।
योजना आयोग की वापसी की मांग
ममता बनर्जी ने नीति आयोग की आलोचना करते हुए कहा, “वे चेहरा दिखाने के लिए बैठक बुला लेते हैं। उनके पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। वे कुछ नहीं कर सकते हैं। कृपया योजना आयोग को दोबारा ले आएं। योजना आयोग देश का वास्तविक मूलभूत ढांचा होना चाहिए, जैसे वे पहले किया करते थे।” ममता बनर्जी ने योजना आयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की योजना थी और आज़ादी के बाद से इस योजना आयोग ने देश और राज्यों के लिए बहुत काम किया है।
बैठक का एजेंडा
नीति आयोग की इस बैठक का मुख्य एजेंडा ‘विकसित भारत @ 2047’ दस्तावेज पर चर्चा करना था। इसके अलावा, पेयजल की पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता, बिजली की गुणवत्ता, एफिशिएंसी और विश्वसनीयता, स्वास्थ्य की पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता, भूमि और संपत्ति की पहुंच, रजिस्ट्री, डिजिटलाइजेशन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी।
कांग्रेस शासित राज्यों का बहिष्कार

कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। इसके अलावा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया। उन्होंने केंद्रीय बजट को राज्यों के खिलाफ बताया और नीति आयोग की बैठकों को निरर्थक करार दिया।
भाजपा और NDA शासित राज्यों का प्रतिनिधित्व
वहीं, भाजपा एवं NDA शासित राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंच गए थे। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शामिल हुए।
सियासी तनाव और भविष्य की दिशा
यह बैठक केवल नीति आयोग के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें सियासी तनाव भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। I.N.D.I.A. ब्लॉक के बहिष्कार और ममता बनर्जी के कठोर रुख ने इस बैठक को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल में अभी भी कई बाधाएं हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है।
नीति आयोग की बैठक ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन सियासी विवादों ने इस बैठक की महत्वता को कम नहीं किया। यह बैठक केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि देश के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी थी। ममता बनर्जी और अन्य मुख्यमंत्रियों के रुख ने इस बैठक को और भी चर्चित बना दिया। अब देखना यह है कि इस बैठक के बाद क्या नतीजे सामने आते हैं और किस तरह से केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश के विकास की दिशा में काम करती हैं।