नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से अटकलें तेज़ हो गई हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक और पार्टी के भीतर के सदस्य यह मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अपने बेटे को जद(यू) में औपचारिक रूप से शामिल कर सकते हैं। यह कयासबाजी तब और बढ़ गई जब राज्य खाद्य आयोग के प्रमुख विद्यानंद विकल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर निशांत कुमार को राजनीति में आने का समर्थन किया।
विद्यानंद विकल ने अपने पोस्ट में लिखा कि, “बिहार को नए राजनीतिक परिदृश्य में युवा नेतृत्व की जरूरत है। निशांत कुमार में सभी अपेक्षित गुण हैं। मैं जद(यू) के कई साथियों की राय से सहमत हूं कि वे पहल करें और राजनीति में सक्रिय हों।” विकल की इस पोस्ट के बाद पार्टी के भीतर और बाहर अटकलों का बाजार गर्म हो गया।

निशांत कुमार के राजनीति में आने की संभावना को लेकर जद(यू) के कई सदस्य और समर्थक अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि, कुछ लोग इसे वंशवाद की ओर बढ़ता कदम मानते हैं, वहीं दूसरी ओर, कुछ का कहना है कि पार्टी को एक सक्षम और युवा नेता की जरूरत है जो नीतीश कुमार के बाद पार्टी की बागडोर संभाल सके।
जद(यू) के पास दूसरे पंक्ति का नेतृत्व नहीं है जो सुप्रीमो नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद उनकी जगह ले सके। इस स्थिति में निशांत कुमार का नाम सामने आना कोई अचंभित करने वाली बात नहीं है। निशांत कुमार आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आते हैं और उन्हें बेहद कम अवसरों पर ही अपने पिता के साथ देखा गया है।

हालांकि, इस संबंध में जब पूर्व राज्य जेडीयू अध्यक्ष और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक विजय कुमार चौधरी से सवाल पूछे गए तो उन्होंने इन अटकलों को “निराधार” बताया। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि वे इस अति संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा न करें, इसका कोई आधार नहीं है, बल्कि इससे लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकता है।”
जब पत्रकारों ने स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठकों में कभी इस विषय पर चर्चा हुई है, तो चौधरी ने कहा, “मैंने जो कहा है, वह इस प्रश्न का पर्याप्त उत्तर है।” चौधरी का यह बयान पार्टी के अंदर चल रही अटकलों पर विराम लगाने का प्रयास माना जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से इन अटकलों को खारिज नहीं करता।
इसके साथ ही, जेडीयू इस महीने के अंत में दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, “पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकें नियमित अंतराल पर होनी चाहिए। आदर्श रूप से, यह जून के आरंभ में आयोजित किया जाना चाहिए था।” नाम न बताने की शर्त पर पदाधिकारी ने कहा, “हमें बैठक में किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं है।”

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, बीजेपी की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है और ऐसे में निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री से गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है। अगर निशांत कुमार राजनीति में आते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उन्हें पार्टी में कौन सी भूमिका दी जाती है और वे किस तरह से अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं।
निशांत कुमार की राजनीति में संभावित एंट्री बिहार की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत हो सकती है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जद(यू) ने कई चुनावी सफलताएँ हासिल की हैं और पार्टी को एक स्थिर नेतृत्व प्रदान किया है। निशांत कुमार का राजनीति में आना इस निरंतरता को बनाए रखने और पार्टी के भविष्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक कदम हो सकता है।
वर्तमान समय में, जहां राजनीतिक पार्टियों में युवाओं की भागीदारी को महत्व दिया जा रहा है, वहां निशांत कुमार का राजनीति में आना जद(यू) के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। इसके बावजूद, यह महत्वपूर्ण होगा कि वे अपनी स्वतंत्र पहचान बनाएं और अपने पिता की छवि से अलग होकर अपनी नेतृत्व क्षमताओं को प्रदर्शित करें।
बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है और आने वाले समय में इससे संबंधित और भी कई महत्वपूर्ण घटनाएं सामने आ सकती हैं। निशांत कुमार के राजनीति में आने की संभावनाओं के बीच, जद(यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में क्या निर्णय लिए जाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।