नीतीश कुमार ने मंगलवार रात 9.14 मिनट पर किए गए पहले ट्वीट में कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ दिए जाने पर आभार जताते हुए लिखा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया जाना हार्दिक प्रसन्नता/उत्साह का विषय है. केंद्र सरकार का यह अच्छा निर्णय है. स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी सौ वीं जन्मदिन पर दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक विचार पैदा करेगा. हम हमेशा से ही स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते रहे हैं. वर्षों की पुरानी मांग आज पूरी हुई है.’
हालांकि, इस पहले ट्वीट को बाद में नीतीश कुमार ने डिलीट कर दिया. उन्होंने बीते रात 10.50 बजे नया ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने PM मोदी की आभार जताया. इसमें लिखा था, ‘इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद.’ नीतीश कुमार का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और राजनीतिक चर्चा में उत्तेजना बढ़ा रहा है.
नीतीश कुमार द्वारा किए गए ट्वीट के बाद राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है, और उनके इस कदम से उनकी बीजेपी से नजदीकियों और INDIA गठबंधन में बढ़ती दूरी के कयास लगाए जा रहे हैं. इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने का दावा किया था.
कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देने के बाद लालू यादव ने भी ट्वीट किया, ‘मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु स्व॰ कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न अब से बहुत पहले मिलना चाहिए था. हमने सदन से लेकर सड़क तक ये आवाज उठाई, लेकिन केंद्र सरकार तब जागी जब सामाजिक सरोकार की मौजूदा बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई और आरक्षण का दायरा बहुजन हितार्थ बढ़ाया. भय/डर ही सही राजनीति को दलित बहुजन सरोकार पर आना ही होगा.’
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ दिए जाने पर अपना पुराना ट्वीट शेयर करते हुए कहा, ‘वंचित, उपेक्षित, उत्पीड़ित और उपहासित वर्गों के पैरोकार, महान समाजवादी नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ देने से हमारी वर्षो पुरानी मांग पूरी होने पर अपार खुशी हो रही है. इसके लिए केंद्र सरकार को साधुवाद.’
अंत में, कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार सेवा की और उन्होंने बहुजन हित में अपना योगदान दिया। उनका नाम ‘भारत रत्न’ के लिए चयन होना राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को साबित करता है। कर्पूरी ठाकुर ने 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले के एक गांव में जन्म लिया था.
उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक युवा छात्र के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत की और बिहार के पहले विधानसभा चुनाव में विजय प्राप्त की. उन्होंने समाजवादी नेता के रूप में प्रमुखता प्राप्त की और 1967 में उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री का कार्य निर्वाह किया और उनकी राजनीतिक यात्रा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई. 1988 में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनका योगदान राजनीतिक साहित्य में सदैव याद किया जाएगा.