मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की खबर ने ईरान में चर्चाओं को तेज़ किया है. यह 51 वर्षीय एक्टिविस्ट और पत्रकार ने ईरान में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कई मौकों पर हिरासत में बंद रहकर अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है.
मोहम्मदी को ईरानी शासन ने 13 मौकों पर हिरासत में लिया गया है, और उन्हें 154 कोड़ों के साथ 31 साल की जेल की सजा दी गई है. इसके बावजूद, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के लिए उनकी साहसपूर्ण लड़ाई को पहचाना है.
मोहम्मदी की बेटी कियाना ने जेल से स्मगल कर बाहर लाए गए एक थैंक्स लेटर को नोबेल पुरस्कार के एक्स पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें उनकी साथी कैदियों ने उनके समर्थन में चिल्लाया है. यह घटना वह आंदोलन है जिसमें मोहम्मदी शामिल हैं, और इसने उनकी बेटी के माध्यम से जगह-जगह गूंथा है. मोहम्मदी ने अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में नोबेल समिति के प्रति ‘गहरा आभार’ व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, ‘ईरान के लोगों ने अपने विकासवादी और सामाजिक आंदोलनों में विरोध की शक्ति का प्रदर्शन किया है.’ उनके अनुसार, नोबेल शांति पुरस्कार को मिलना एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो दुनिया भर में प्रोटेस्ट और सामाजिक आंदोलनों को सशक्त बनाने में सहायक हो सकता है.
हाल ही में, ईरानी शासन ने नोबेल समिति के फैसले की आलोचना की है और इसे मानवाधिकार के मुद्दे में हस्तक्षेप और राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है. इसके बावजूद, मोहम्मदी ने अपने समर्थन की पुकार को बनाए रखने का आशीर्वाद दिया है और कहा है, ‘जीत आसान नहीं है, लेकिन निश्चित है.’
ईरानी नेताओं और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हाल ही में हो रहे संघर्ष को देखते हुए, नोबेल शांति पुरस्कार को एक प्रोत्साहन माध्यम के रूप में देखा जा रहा है. यह घटना ईरान में महिलाओं के अधिकारों की बढ़ती हुई मांग और समाज में परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है