नोएडा में स्थित एक कॉल सेंटर ने अमेरिका में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का अड्डा बना रखा था, जिससे अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों के ग्राहकों को शिकार बनाया जा रहा था। इस संगठित अपराध का पर्दाफाश केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और नोएडा पुलिस ने संयुक्त रूप से किया, जिसके बाद 15 ठगों को गिरफ्तार किया गया। इस संगठित ठगी के जाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया और इनसे बड़ी मात्रा में धनराशि ठगी।
कॉल सेंटर से चल रही थी अंतरराष्ट्रीय ठगी
नोएडा के सेक्टर-59 में स्थित एक कॉल सेंटर से इस ठगी का संचालन किया जा रहा था। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि इस कॉल सेंटर में अमेरिकी नागरिकों से ठगी की जा रही है। इसके बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इस कॉल सेंटर पर छापा मारा और 15 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें तीन महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस ने मौके से 25 लैपटॉप, 16 मोबाइल फोन और अन्य तकनीकी उपकरण बरामद किए, जिनका इस्तेमाल ठगी के इस गोरखधंधे में किया जा रहा था।
ठगी का तरीका: अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर फर्जी तकनीकी सहायता
इस संगठित ठगी के पीछे का तरीका बेहद ही शातिराना था। जब विदेशी लोग अमेजन के फायर स्टिक या अन्य उपकरणों को सक्रिय करने की कोशिश करते थे, तो यह कॉल सेंटर उनसे संपर्क करता और फर्जी तकनीकी सहायता की पेशकश करके उनके खातों से पैसे वसूल लेता। यह ठगी का जाल केवल अमेजन तक सीमित नहीं था, बल्कि माइक्रोसॉफ्ट के ग्राहकों को भी इसी प्रकार के फर्जी तकनीकी सहायता के नाम पर ठगा जाता था।
माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ मामला
माइक्रोसॉफ्ट के ग्राहकों को ठगने का तरीका कुछ इस प्रकार था कि उनके कंप्यूटर पर एक पॉप-अप संदेश भेजा जाता था, जिसमें एक कथित खतरे की चेतावनी दी जाती थी। इस संदेश में ग्राहकों से कहा जाता था कि वे दिए गए नंबर पर कॉल करें, ताकि उनके कंप्यूटर को सुरक्षित किया जा सके। जब ग्राहक इस नंबर पर कॉल करते, तो कॉल सेंटर के संचालक उन्हें फर्जी तकनीकी सहायता के नाम पर ठग लेते थे।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन की शिकायतों के आधार पर इन कॉल सेंटरों के खिलाफ मामला दर्ज किया। अधिकारियों के अनुसार, सीबीआई ने पिछले साल चार अक्टूबर को 10 कॉल सेंटर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिनमें से पांच कॉल सेंटर अमेजन की शिकायत के आधार पर दर्ज मामलों में भी संदिग्ध पाए गए थे। इन मामलों की जांच के दौरान ही पुलिस ने यह बड़ा ऑपरेशन चलाया और ठगों के इस गिरोह का भंडाफोड़ किया।
गिरफ्तार ठगों की पहचान और उनकी संलिप्तता
गिरफ्तार किए गए ठगों में विभिन्न प्रकार के लोग शामिल हैं, जो इस संगठित ठगी में अपनी-अपनी भूमिकाएं निभा रहे थे। इनमें से कुछ लोग कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी थे, जबकि कुछ लोग इस ठगी को संचालित करने वाले मुख्य योजनाकार थे। इन सभी लोगों ने मिलकर अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के ग्राहकों से धोखाधड़ी की और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुँचाया।
तकनीकी उपकरणों का दुरुपयोग
इस ठगी के दौरान इस्तेमाल किए गए लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल न केवल ग्राहकों से संपर्क करने के लिए किया गया था, बल्कि इन उपकरणों के माध्यम से फर्जी वेबसाइट्स और पॉप-अप संदेश भी तैयार किए गए थे। पुलिस ने इन उपकरणों को जब्त कर लिया है और अब इनकी जांच की जा रही है, ताकि और भी साक्ष्य इकट्ठे किए जा सकें।
भविष्य की चुनौतियाँ
इस ठगी के मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज के डिजिटल युग में तकनीकी उपकरणों का दुरुपयोग किस प्रकार हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले ऐसे संगठित अपराध से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को और भी सतर्क रहना होगा। इसके अलावा, ग्राहकों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि वे इस प्रकार की फर्जी तकनीकी सहायता के जाल में न फँसें।
नोएडा से संचालित इस ठगी के जाल का भंडाफोड़ होने के बाद, यह साफ हो गया है कि आज के समय में अपराधी तकनीकी उपकरणों का दुरुपयोग करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने में सक्षम हैं। सीबीआई और पुलिस की इस कार्रवाई से जहां एक बड़ा ठगी का गिरोह पकड़ा गया है, वहीं यह भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में और भी सख्ती बरती जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।