आज, 26 जून 2024, को संसद में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। यह चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक है क्योंकि 1976 के बाद यह पहला मौका है जब इस पद के लिए चुनाव हो रहा है। एनडीए की ओर से ओम बिरला और विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से के सुरेश मैदान में हैं। यह चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक महत्वपूर्ण लड़ाई साबित हो सकता है, जिसमें दोनों ओर से कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।
चुनाव की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ दिनों में संसद में नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों, सत्ता और विपक्षी दलों के सांसदों ने शपथ ली है। अब बारी है लोकसभा के अध्यक्ष या स्पीकर को चुने जाने की। बीते कई वर्षों से लोकसभा के अध्यक्ष बिना किसी विरोध के चुने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार विपक्ष ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारकर इसे दिलचस्प बना दिया है।
सदन का समीकरण
लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास 293 सांसद हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन INDIA के पास 233 सदस्य हैं। विपक्ष को उम्मीद है कि उन्हें 3 निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन मिल सकता है। वहीं, एनडीए को भी कई निर्दलीय और छोटे राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। भाजपा के सहयोगी टीडीपी और जेडीयू ने भी पूरी तरह से ओम बिरला के समर्थन की बात कही है। इस समीकरण को देखते हुए, माना जा रहा है कि ओम बिरला एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनने में कामयाब रहेंगे।
ऐतिहासिक चुनाव
1976 के बाद पहली बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। स्वतंत्र भारत में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए थे। इसके बाद से, लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होता आया है। यह चुनाव इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले केवल एम ए अय्यंगार, जी एस ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जी एम सी बालयोगी ने अगली लोकसभाओं में भी अध्यक्ष पद को बरकरार रखा है।
पक्ष और विपक्ष में नहीं बनी बात
स्पीकर पद के मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद भवन स्थित कार्यालय में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, द्रमुक के टी आर बालू, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच बातचीत हुई। हालांकि, दोनों पक्ष अपने रुख पर अड़े रहे और इसका कोई नतीजा नहीं निकला। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की प्रतिबद्धता नहीं जताई। इस कारण से पक्ष और विपक्ष के बीच किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई।
सांसदों को व्हिप जारी
भाजपा ने अपने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर के बुधवार 26 जून को संसद में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। मोदी सरकार के मंत्री और सीनियर नेता अपने-अपने राज्य के गठबंधन सांसदों को सुबह नाश्ते पर बुलाकर उन्हें वोटिंग प्रक्रिया के बारे में ब्रीफ करेंगे। वहीं, कांग्रेस ने भी मंगलवार को अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर कहा कि वे लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान बुधवार को सुबह 11 बजे से सदन में उपस्थित रहें।
ओम बिरला और के सुरेश का परिचय
ओम बिरला: ओम बिरला राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार सांसद हैं। 2019 में पहली बार उन्हें स्पीकर बनाया गया था और अब वे दूसरी बार इस पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी सदन में कड़े प्रशासक की छवि है और वे अपनी निष्पक्षता और कार्यकुशलता के लिए जाने जाते हैं।
के सुरेश: कोडिकुन्निल सुरेश केरल की मवेलिकारा लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे अब तक 7 बार सांसद बन चुके हैं और लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुभव रखते हैं। कांग्रेस की सरकार में 2012 से 2014 तक वे राज्य मंत्री रहे और 2018 में उन्हें केरल कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। उनके पास संसदीय कार्य का व्यापक अनुभव है।
चुनाव का परिणाम
लोकसभा अध्यक्ष के इस चुनाव का परिणाम भारतीय संसदीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शक्ति संतुलन को भी प्रदर्शित करेगा। दोनों उम्मीदवारों के समर्थकों ने अपनी-अपनी रणनीतियाँ तैयार कर ली हैं और अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि आज का मतदान किसके पक्ष में जाएगा।
यह चुनाव न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संसद के कार्यों के संचालन और भविष्य की राजनीति को भी प्रभावित करेगा। ओम बिरला और के सुरेश दोनों ही मजबूत उम्मीदवार हैं और उनके बीच का यह मुकाबला लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है। अब देखना यह है कि संसद के सदस्य किसे अपना समर्थन देते हैं और लोकसभा के अध्यक्ष पद पर कौन काबिज होता है।