मंगलवार को संसद में सांसद पद की शपथ लेते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया, जिसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद उनकी सदस्यता खत्म करने की मांग की जा रही है और इसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी भी लिखी गई है।
संसद में ओवैसी का नारा और विवाद
असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में शपथ ग्रहण के दौरान ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया। इस नारे के कारण संसद में हंगामा मच गया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे संविधान के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि भारतीय संसद में दूसरे देश के समर्थन में नारा लगाना उचित नहीं है।
राष्ट्रपति को चिट्ठी
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी है और मांग की है कि ओवैसी की सदस्यता को समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह घटना भारतीय संविधान के खिलाफ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा का बयान
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा, “संवैधानिक प्रक्रिया के मुताबिक, एक सांसद उतना ही पढ़ेगा, जितना उसे कहा जाएगा। हमने इसका विरोध किया है। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि केवल शपथ की अवधि को ही रिकॉर्ड में लिया जाएगा, उसके पहले और बाद में कुछ नहीं। अपने देश की संसद में दूसरे देश की तारीफ करना आपकी मानसिकता के बारे में भी बहुत कुछ बताता है।”
ओवैसी की सफाई
सियासी बवाल के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी टिप्पणी का बचाव किया। शपथ ग्रहण के बाद संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं। मैंने कहा ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन’। यह कैसे गलत है? मुझे संविधान में इसे लेकर कोई प्रावधान हो तो बताएं। आपको यह भी सुनना चाहिए कि दूसरों ने क्या कहा। मुझे जो कहना था मैंने कहा। आप यह भी देखें कि महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था।”
ओवैसी का पक्ष
जब ओवैसी से फिलिस्तीन का जिक्र करने का कारण पूछा गया, तो उन्होंने बताया, “वे उत्पीड़ित लोग हैं।” ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली थी और उन्होंने फिलिस्तीन के संघर्ष प्रभावित क्षेत्र के साथ एकजुटता व्यक्त की और साथ ही अपने राज्य, तेलंगाना की प्रशंसा की और मुसलमानों के लिए एआईएमआईएम का नारा बुलंद किया। उनके नारे पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसके बाद सभापति ने इसे आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया।
संसद में कार्रवाई की मांग
उस समय पीठासीन अधिकारी, भाजपा नेता राधा मोहन सिंह ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि औपचारिक शपथ से परे कोई भी बयान दर्ज नहीं किया जाएगा। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने भी पुष्टि की कि आधिकारिक तौर पर केवल शपथ या प्रतिज्ञान पर ध्यान दिया जा रहा है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने गृह मंत्री के कार्यालय को पत्र लिखकर उनके भाषण पर आपत्ति जताई है और मामले में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर से ओवैसी को एक बार फिर शपथ लेने के लिए कहने का भी अनुरोध किया।
भारतीय राजनीति में नारेबाजी का इतिहास
भारतीय राजनीति में नारेबाजी का इतिहास पुराना है। नारेबाजी के माध्यम से नेता अपने विचारों और समर्थकों के संदेश को सार्वजनिक मंच पर रखते हैं। हालांकि, संसद जैसी जगह पर नारेबाजी को लेकर हमेशा विवाद होता रहा है। संसद में नारेबाजी की परंपरा को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं के बीच मतभेद होते रहे हैं।
ओवैसी के नारे का असर
ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ नारे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह मामला न केवल भारतीय राजनीति के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण हो गया है। कई लोगों का मानना है कि ओवैसी के इस नारे से उनकी विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण स्पष्ट होता है।
असदुद्दीन ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ नारे के बाद उत्पन्न विवाद ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह मामला संसद में नारेबाजी और सांसदों की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और ओवैसी की सदस्यता पर क्या निर्णय होता है।