पकड़ौआ विवाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब हर किसी के लिए बड़े महत्वपूर्ण हो गया है। इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने एक सैनिक के पकड़ौआ विवाह को अवैध ठहराया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। यहां जानिए कि यह पूरा मामला कैसे उत्कृष्ट हुआ और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप किया है।
पकड़ौआ विवाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। बिहार के लखीसराय में हुए एक पकड़ौआ विवाह के मामले में दिलचस्प मोड़ आया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
मामले का आधार है एक सेना के जवान का पकड़ौआ विवाह, जिसमें उसको जबरन शादी कराई गई थी। इस मामले पर पटना हाईकोर्ट ने एक अदालती फैसला किया था, जिसमें उन्होंने शादी को अमान्य ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रोक लगाई गई है और अब सुप्रीम कोर्ट करेगा इस मामले में अपना फैसला सुनाना।
मामले की शुरुआत बहुत पहले हुई थी, जब नवादा के एक लड़के को 2013 में किडनैप किया गया और उसे लखीसराय के एक मंदिर में ले जाया गया। वहां उसकी जबरन शादी कराई गई थी, जो उसने मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उसने फैमिली कोर्ट में इस खिलाफ अपील दायर की थी और वहां भी उसके पक्ष में फैसला नहीं हुआ था।इस मामले का आधार बिहार के लखीसराय जिले का है, जहां 10 साल पहले एक सैनिक को किडनैप किया गया और उसे जबरन एक मंदिर में ले जाकर शादी कराई गई थी। इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने लड़के के पक्ष में नहीं फैसला दिया और उसकी शादी को अमान्य ठहराया गया था। लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है।
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला करते हुए लड़के के पक्ष में निर्णय दिया और जबरन शादी को अमान्य करार दिया। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई है और अब उसे सुनने का इंतजार है।
पकड़ौआ विवाह की कुप्रथा बिहार के कुछ जिलों में देखी जाती है, जिसमें लड़के की जबरन शादी कराई जाती है। इस प्रकार के घटनाएं अक्सर रीति-रिवाजों का उल्लंघन करती हैं और इसमें जबरनी तरीके से शादी कराने का आरोप लगता है। इस मामले में भी लड़के का दावा है कि उसकी शादी में रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया गया और उसे जबरनी तरीके से शादी कराई गई थी। इस सभी के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में कई लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।