पाकिस्तान की राजनीति में उतार-चढ़ाव नये दौर में एक नया मोड़ लिए आया है। प्रधानमंत्री चुनाव के बाद, नवनिर्वाचित पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में अपनी जुबान का लय खो दिया और खुद को ‘विपक्ष का नेता’ घोषित किया। यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तानी राजनीति में भी समर्थन और विरोध के बीच एक नई सचाई का आगमन हुआ है।
पाकिस्तान में चल रहे चुनावों में, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता शहबाज शरीफ को 336 सदस्यीय सदन में 201 वोट मिले। इसके बाद, उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद की शपथ दी गई। यहाँ तक कि उनके प्रतिद्वंद्वी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता उमर अयूब खान को भी केवल 92 वोट मिले। शहबाज शरीफ की जीत ने दिखाया कि उनकी पार्टी के समर्थन में एक सुशील बहुमत है और वह देश की संविधानिक संरक्षण के लिए पूर्ण बहुमत के साथ काम कर सकते हैं।
शहबाज शरीफ के चुनावी जीत के बाद, उन्होंने अपने संबोधन में अपनी पार्टी के सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं अपनी पार्टी के सदस्यों को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने वोट देकर मुझे इस सदन में विपक्ष का नेता चुना।” उन्होंने अपने भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ उनके सभी सहयोगियों का भी आभार जताया। इसके बाद, उन्होंने अपने चुनावी विजय को उनके भाई की पूर्णता और उनके सहयोगियों के साथ जोड़ा।
हालांकि, इस घटना के बाद एक और घटना हुई जो सामाजिक राजनीतिक माहौल में चर्चा का विषय बन गई। शहबाज शरीफ के भाषण की शुरुआत में उनकी जुबान फिसल गई और वे खुद को ‘विपक्ष का नेता’ बता दिया। यह एक चौंकाने वाली बात है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने अपने पद को गौरवान्वित करने की बजाय, उन्होंने खुद को विपक्ष के रूप में पेश किया। इससे पाकिस्तानी राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ा और विपक्षी दलों को एक और उच्चाधिकारी के रूप में उनकी नीतियों को संजोकर सहमति प्राप्त करने की चुनौती मिली।
शहबाज शरीफ की चुनावी जीत के बाद, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की पक्षपाती नीतियों के समर्थन के लिए और उनके सहयोगियों की सार्वजनिक उपेक्षा के कारण समाज में असंतोष उभरा है। इससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव बढ़ा है और पाकिस्तानी राजनीति में एक नया दृष्टिकोण प्रकट हो रहा है।