पेशावर: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक भयानक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। पूर्व सांसद हिदायतुल्ला खान समेत चार लोगों की जान एक रिमोट-कंट्रोल ब्लास्ट में चली गई। यह विस्फोट अफगानिस्तान के बॉर्डर से लगे आदिवासी बहुल जिले मामोंड बाजौर के दामादोला क्षेत्र में हुआ। पुलिस के अनुसार, हिदायतुल्ला खान उस समय अपने भतीजे नजीबुल्ला खान के उपचुनाव प्रचार अभियान के सिलसिले में वहां मौजूद थे।
घटना का विवरण
पुलिस ने जानकारी दी कि विस्फोट के समय हिदायतुल्ला खान अपने भतीजे नजीबुल्ला खान के प्रचार अभियान में व्यस्त थे। पीके 22 प्रांतीय विधानसभा क्षेत्र में 12 जुलाई को उपचुनाव होना है। विस्फोट इतना भयानक था कि मौके पर ही चार लोगों की मौत हो गई। इनमें हिदायतुल्ला खान, उनके चालक और दो अन्य लोग शामिल थे। इस विस्फोट के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया।
हिदायतुल्ला खान का राजनीतिक सफर
हिदायतुल्ला खान पाकिस्तान के एक बड़े सियासी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने 2012 से 2018 और फिर 2018 से 2024 तक सीनेट के निर्दलीय सदस्य के रूप में सेवा दी। इसके अलावा, वे उच्च सदन की विमानन संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष और राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण (NACTA) के सदस्य भी रहे। उनके पिता हाजी बिस्मिल्लाह खान भी MNA रह चुके थे, जबकि उनके बड़े भाई शौकतुल्लाह खान खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व गवर्नर थे। हिदायतुल्ला खान ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आवाज उठाई और अपने क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रयास किए।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और मुख्य सचिव नदीम असलम चौधरी ने विस्फोट की निंदा की है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और पूर्व सीनेटर तथा अन्य लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की हिंसा हमारे समाज के लिए बहुत ही दुखद है और हम सभी को इसके खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाएं
यह घटना पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवादी हमलों का एक और उदाहरण है। हाल के वर्षों में, पाकिस्तान ने कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है। जनवरी में, हिदायतुल्ला खान ने सीनेट सचिवालय में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें चुनाव उम्मीदवारों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों में वृद्धि पर ध्यान दिलाया गया था। उन्होंने पाकिस्तान के चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा चुनौतियों के कारण आम चुनाव को तीन महीने के लिए टालने का आग्रह किया था। हालांकि, पाकिस्तान में अगले ही महीने 8 फरवरी को चुनाव संपन्न हुए थे।
जिम्मेदारी का अभाव
अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है। पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी अक्सर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) या इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) जैसे संगठनों द्वारा ली जाती है। हालांकि, इस घटना में अभी तक किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, जिससे जांच को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सुरक्षा की चुनौतियां
इस घटना ने पाकिस्तान में सुरक्षा चुनौतियों को एक बार फिर उजागर किया है। राजनीतिक नेताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सरकार और सुरक्षा बलों को अधिक सतर्क रहना होगा। आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सुरक्षा तंत्र में सुधार की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई इस घटना ने एक बार फिर से आतंकवाद की भयावहता को सामने ला दिया है। हिदायतुल्ला खान जैसे प्रभावशाली नेता की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि आतंकवाद के खिलाफ संगठित और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और सुरक्षा बलों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।