बिहार के जमुई जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज के परंपरागत ढांचे को हिला कर रख दिया है। यहाँ दो महिलाओं ने, जो पहले से ही शादीशुदा थीं और जिनके बच्चे भी हैं, आपस में विवाह कर लिया। इस मामले ने लोगों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है और यह सवाल खड़ा किया है कि समाज किस हद तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम की स्वीकार्यता को मान्यता देता है।
रॉन्ग नंबर से शुरू हुई प्रेम कहानी
इस प्रेम कहानी की शुरुआत सात साल पहले एक रॉन्ग नंबर से हुई थी। छपरा जिले के बभनगांव निवासी जगरनाथ पांडेय की पुत्री सोनी कुमारी और जमुई के लखापुर गांव निवासी भगीरथ सिंह की पुत्री कोमल कुमारी के बीच यह प्रेम कथा परवान चढ़ी। रॉन्ग नंबर पर हुई बातचीत ने जल्द ही दोस्ती और फिर प्यार का रूप ले लिया। दोनों महिलाओं के बीच बातचीत का सिलसिला लगातार जारी रहा, और यह प्रेम धीरे-धीरे इतना गहरा हो गया कि दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं।
प्यार परवान चढ़ा और हुआ विवाह
फोन पर बढ़ती नजदीकियों और प्यार के बीच, सोनी और कोमल ने 2023 में परिवार से छिपकर विवाह कर लिया। दोनों ने इस विवाह को गुप्त रखा, लेकिन आखिरकार इस रिश्ते की भनक परिवार वालों को लग गई। परिवार वालों ने कोमल पर सोनी से बात न करने का दबाव डाला, लेकिन कोमल ने इस दबाव को नजरअंदाज करते हुए सोनी को छपरा से बुला लिया। दोनों ने भागने की योजना बनाई, लेकिन इससे पहले कि वे अपने प्लान को अंजाम दे पातीं, कोमल की बहन ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को इसकी सूचना दे दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों महिलाओं को हिरासत में ले लिया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी।
पारिवारिक संघर्ष और सामाजिक चुनौती
इस मामले ने दोनों महिलाओं के परिवारों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। कोमल की शादी सात साल पहले लखीसराय जिले के इंदुपुर गांव निवासी गोपाल कुमार सिंह के साथ हुई थी, और उनके दो बच्चे हैं—एक बेटा और एक बेटी। वहीं, सोनी की शादी 2020 में पटना निवासी पंकज कुमार के साथ हुई थी और उनका भी एक बेटा है। इसके बावजूद, दोनों महिलाएं अपनी शादी के फैसले पर अड़ी हुई हैं और साथ जीने-मरने की कसमें खा रही हैं।
समाज की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
यह मामला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। समाज की पारंपरिक सोच और लैंगिक भूमिकाओं के चलते इस तरह के विवाह को सामान्य रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है। हालांकि, यह घटना यह भी दर्शाती है कि समाज में धीरे-धीरे बदलाव की लहर उठ रही है, जहां लोग अपने जीवन के निर्णय खुद लेने की स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहे हैं।
पुलिस की भूमिका और कानूनी पहलू
पुलिस ने दोनों महिलाओं से पूछताछ शुरू कर दी है और इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि, कानूनी दृष्टिकोण से, भारत में समलैंगिक विवाह को अब तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है। इस प्रकार के मामलों में, पुलिस और समाज को भी संवेदनशीलता से काम लेना पड़ता है।
जमुई में हुई इस घटना ने एक बार फिर से इस बात को उजागर किया है कि प्रेम और रिश्तों के मामले में समाज की सोच और दृष्टिकोण में अभी भी बहुत बदलाव की आवश्यकता है। दो महिलाओं का एक-दूसरे से विवाह करना और समाज की परवाह न करते हुए अपने जीवन के फैसले खुद लेना यह दर्शाता है कि वे अपने प्रेम और अपने अधिकारों के प्रति सचेत हैं। लेकिन यह घटना यह भी स्पष्ट करती है कि समाज को इस तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम की मान्यता को स्वीकार करना होगा।