केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम पटना में पहुंच गई है, जहां वह राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक 2024 (NEET-UG) में अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है। यह मामला बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा उठाया गया था, जिसमें अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। केंद्र सरकार द्वारा इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश मिलने के बाद, सीबीआई ने शिक्षा मंत्रालय की संस्तुति पर एक प्राथमिकी दर्ज की है।
सीबीआई की जांच और संभावित कदम

सीबीआई अब ईओयू से मामले के सबूत एकत्र कर रही है। इनमें जले हुए प्रश्नपत्र के टुकड़े, गिरफ्तार लोगों के मोबाइल फोन, सिमकार्ड, लैपटॉप, आगे की तारीख वाले चेक, और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी से प्राप्त संदर्भ प्रश्नपत्र शामिल हैं। सीबीआई इन सबूतों के आधार पर विभिन्न आरोपियों से गहन पूछताछ के लिए ट्रांजिट रिमांड हासिल कर सकती है और उन्हें दिल्ली ले जाया जा सकता है।
आय से अधिक संपत्ति का मामला
सीबीआई न केवल नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं की जांच कर रही है, बल्कि कुछ आरोपियों के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज कर सकती है। इस संदर्भ में, दानापुर नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता सिकंदर प्रसाद यादवेंदु की संपत्तियों की जांच की जा रही है। यादवेंदु पर आरोप है कि उसने अपनी आय के ज्ञात स्रोत से काफी अधिक संपत्ति अर्जित की है। यह मामला भी सीबीआई की जांच के दायरे में आ सकता है।
मुख्य आरोपी सिकंदर प्रसाद यादवेंदु

मूल रूप से समस्तीपुर के रहने वाले सिकंदर प्रसाद यादवेंदु की पहचान इस मामले के मुख्य आरोपी के रूप में हुई है। यादवेंदु की आपराधिक गतिविधियों की पृष्ठभूमि भी है। 2012 में कनिष्ठ अभियंता बनने से पहले वह रांची में ठेकेदारी करता था और तीन करोड़ रुपये के एलईडी घोटाले में भी अभियुक्त रहा है। वह उस मामले में अपनी भूमिका को लेकर जेल की सजा भी काट चुका है।
सीबीआई की कार्रवाई का महत्व
सीबीआई की यह कार्रवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं की जांच कर रही है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में फैले भ्रष्टाचार को भी उजागर कर रही है। यह कदम देश भर में परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। सीबीआई की इस कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीबीआई की प्राथमिकताएं और चुनौतियाँ
सीबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इस मामले की जड़ तक पहुंच सके और उन सभी लोगों को पकड़ सके जो इस भ्रष्टाचार के जाल में शामिल हैं। सीबीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सबूतों की उचित जांच हो और कोई भी दोषी बिना सजा के न रहे। इसके अलावा, सीबीआई को यह भी देखना होगा कि इस मामले में शामिल सभी लोगों की संपत्तियों की पूरी जांच हो और जो भी आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति पाए जाए, उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई हो।

सीबीआई की पटना में उपस्थिति और उसकी जांच प्रक्रिया यह दर्शाती है कि नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का मामला कितना गंभीर है। यह मामला न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीबीआई की जांच से यह उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
इस प्रकार, सीबीआई की यह कार्रवाई देश में शिक्षा प्रणाली की स्वच्छता और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से, शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को समाप्त करने की दिशा में एक मजबूत संदेश भेजा जा रहा है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर छात्र को उसकी मेहनत का सही फल मिले और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से उसकी मेहनत बेकार न जाए।