जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल को टिकट नहीं मिलने पर हुए उनके बयान ने बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने अपने बयान में ज्यादा खुल कर कहा है कि उनका टिकट चोरी हो गया है। उनकी यह बोली साफ दिखाती है कि उन्हें इस निर्णय से असंतोष है और वे इसे न्यायाधीशी तरीके से स्वीकार नहीं कर रहे हैं। गोपाल मंडल का यह बयान बिहार की राजनीति में एक नई चुनौती की ओर इशारा कर रहा है।
इस विवाद के पीछे कई राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं। गोपाल मंडल का अभाव उनकी पार्टी, जेडीयू, के और भारतीय राष्ट्रीय दल (एनडीए) के बीच संबंधों की दुर्घटना को दर्शाता है। इससे पहले जेडीयू और बीजेपी के बीच चुनावी गठबंधन था, लेकिन अब जेडीयू ने बीजेपी के साथ तोड़ा गठबंधन और एनडीए के साथ जुड़ा है। इस नए गठबंधन के तहत जेडीयू को 16 लोकसभा सीटें मिली हैं, जो कि पिछले बार से कम हैं। इस बात का प्रभाव गोपाल मंडल जैसे विधायकों पर पड़ सकता है।
गोपाल मंडल का दावा है कि उन्हें टिकट इसलिए नहीं मिला क्योंकि उन्हें पार्टी के अंदर कुछ लोगों की नाराजगी है। वे कहते हैं कि उनके मुंह में बोले जाने के बावजूद टिकट उन्हें नहीं मिला। यह बात साफ करती है कि जेडीयू के अंदर राजनीतिक असमानता और विवाद हैं। गोपाल मंडल का दावा है कि उनका टिकट उन्हें नहीं मिला क्योंकि वे आरक्षित वर्ग से हैं, जिससे उन्हें नाराजगी है।
बिहार की राजनीति में राजनीतिक असमानता और विवाद सामान्य हैं। इस घटना का एक और महत्वपूर्ण पहलू है गठबंधन की राजनीति। जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है, जिससे पार्टी को चुनाव में मजबूती मिल सके। इसका परिणाम यह है कि जेडीयू को कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को नहीं मिला है। गोपाल मंडल का टिकट नहीं मिलना इसी सीरियल का हिस्सा है