प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निकट सहयोगी और करीबी नेता सुनील ओझा का असामयिक निधन हो गया है। सुनील ओझा को काशी क्षेत्र के पूर्व संयोजक और वर्तमान में भाजपा के बिहार प्रभारी के रूप में जाना जाता था। उन्होंने करीब 20 सालों से प्रधानमंत्री मोदी के साथ रहा और मोदी जी को उन पर काफी भरोसा था।

सुनील ओझा का निधन उनकी तबियत बिगड़ने के बाद हुआ और उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी आखिरी सांस ली गई। उनका निधन भाजपा के लिए एक बड़ी क्षति है, क्योंकि वह एक अग्रणी नेता थे और उनका योगदान पार्टी में महत्वपूर्ण था।
सुनील ओझा ने गुजरात की 10वीं और 11वीं विधानसभा में भावनगर दक्षिण सीट से दो बार के विधायक के रूप में सेवा की थीं। उन्होंने भावनगर क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े गढ़ को फतह करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वहां की राजनीति में अपना अच्छा प्रदर्शन किया।

2014 में, जब प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तब सुनील ओझा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए गुजरात से काशी पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने काशी में रहना शुरू कर दिया और यहां से भी अपनी सेवा को जारी रखी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सुनील ओझा की मृत्यु पर दुख जताते हुए उनके योगदान की सराहना की और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विटर पर लिखा, “भाजपा परिवार के वरिष्ठ नेता, बिहार भाजपा के सह-प्रभारी सुनील ओझा जी का असामयिक निधन अत्यंत दुःखद है। ओझा जी का संपूर्ण जीवन जनसेवा व संगठन को समर्पित रहा। उनका जाना भाजपा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं शोकाकुल परिजनों के प्रति गहन संवेदना प्रकट करता हूँ और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।”

भारतीय जनता पार्टी को एक ऐसा नेता खोने का दुख है जिसने स्वदेशी और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर अपनी भूमिका से अपने अनुयायियों के बीच बड़ा समर्थन जुटाया था। सुनील ओझा की विचारशीलता, संघर्षशीलता, और सेवानिवृत्ति की यादें भाजपा को दुःखी कर रही हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।