भारतीय जनता पार्टी के नेता और वकील जी देवराजे गौड़ा ने कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया है। उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार और चार अन्य मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला हासन के सांसद प्रज्वल रेवन्ना के आपत्तिजनक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें शिवकुमार और उनके साथी मंत्रियों की कथित संलिप्तता सामने आई है।
देवराजे गौड़ा ने दावा किया है कि डीके शिवकुमार ने उन्हें बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जनता दल (सेक्युलर) के एक बड़े नेता को बदनाम करने के लिए 100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। यह आरोप तब सामने आया जब गौड़ा को यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह पुलिस हिरासत में थे। हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद, हासन की जिला जेल ले जाते समय गौड़ा ने पत्रकारों से बातचीत में यह खुलासा किया।

गौड़ा के अनुसार, डीके शिवकुमार और उनकी टीम ने प्रज्वल रेवन्ना के आपत्तिजनक वीडियो की पेन ड्राइव के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस टीम में चार मंत्री शामिल थे: एन. चालुवरायास्वामी, कृष्णा बायरे गौड़ा, प्रियांक खरगे, और एक अन्य मंत्री। गौड़ा का कहना है कि इन मंत्रियों ने मिलकर भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी और जेडीएस के एक प्रमुख नेता को बदनाम करने की योजना बनाई थी।
प्रज्वल रेवन्ना पर महिलाओं के साथ यौन शोषण के कई आरोप हैं, जिनमें सबसे गंभीर आरोप एक महिला ने लगाया है। महिला ने आरोप लगाया है कि हासन के सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने 4-5 साल पहले बेंगलुरु स्थित अपने घर पर उसकी मां के साथ बलात्कार किया था। इसके अलावा, महिला ने यह भी दावा किया कि उसे 2020 और 2021 में वीडियो कॉल कर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया था। महिला के आरोपों के सामने आने के बाद, जेडीएस ने प्रज्वल रेवन्ना को सस्पेंड कर दिया था।
यह मामला कर्नाटक सेक्स स्कैंडल के रूप में उभरा है और इसमें प्रज्वल रेवन्ना और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगे हैं। महिला ने एसआईटी को इस घटना के बारे में पूरी जानकारी दी है और दावा किया है कि रेवन्ना के परिवार ने इन घटनाओं के बारे में जानने के बाद भी उनका समर्थन किया।

यह आरोप सिर्फ व्यक्तिगत आरोपों तक सीमित नहीं हैं बल्कि कर्नाटक की राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मामले को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है। देवराजे गौड़ा के आरोपों के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
कर्नाटक में यह मामला राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बन गया है। देवराजे गौड़ा के आरोपों के बाद डीके शिवकुमार और उनके मंत्रियों के खिलाफ जांच की मांग तेज हो गई है। इस मामले की जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे, वे कर्नाटक की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
इस मामले को लेकर आम जनता में भी भारी रोष है। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार सच्चाई क्या है और दोषियों को कब सजा मिलेगी। कर्नाटक की जनता अब इस मामले पर नजरें गड़ाए हुए है और सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद कर रही है।
राजनीतिक दलों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जहां उन्हें अपने नेताओं की साफ छवि बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस विवाद के बीच, कर्नाटक की राजनीति में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है और आगे के घटनाक्रम पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।