गांधी मैदान में सैकड़ों अभ्यर्थियों के साथ प्रदर्शन
पटना के गांधी मैदान में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दूसरा दिन है। जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी से आमरण अनशन शुरू किया है। उनके साथ सैकड़ों अभ्यर्थी भी प्रदर्शन में शामिल हैं, जो परीक्षा रद्द कर री-एग्जाम की मांग कर रहे हैं। गांधी मैदान में बापू की मूर्ति के नीचे बैठकर प्रदर्शनकारी जोरदार नारेबाजी कर रहे हैं। “री-एग्जाम लेकर रहेंगे” जैसे नारों से पूरा माहौल गूंज रहा है।

अनशन की प्रमुख मांगें
प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने 5 प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा है। उनका कहना है कि जब तक नीतीश सरकार इन मांगों को नहीं मानती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- 70वीं बीपीएससी परीक्षा में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच और पुनर्परीक्षा।
- 2015 के सात निश्चय योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता।
- पिछले 10 वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं और पेपर लीक की जांच पर श्वेत पत्र जारी करना।
- प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।
- बिहार की सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए कम से कम दो-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए डोमिसाइल नीति।

अभ्यर्थियों की नाराजगी और संघर्ष
गांधी मैदान में प्रदर्शन कर रहे युवा अपने हक की मांग को लेकर पूरी तरह दृढ़ हैं। उनका कहना है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है, और अब इसे सुधारने की आवश्यकता है। आंदोलनकारियों का यह भी कहना है कि न्याय की इस लड़ाई को किसी भी स्थिति में नहीं रोका जाएगा।

सरकार पर बढ़ता दबाव
बीपीएससी और राज्य सरकार इस आंदोलन के कारण दबाव में आ गई है। आयोग अब खुद को अभ्यर्थियों और प्रशांत किशोर के सवालों के घेरे में फंसा हुआ महसूस कर रहा है। आंदोलन का असर इतना व्यापक हो चुका है कि पूरे राज्य में युवाओं के बीच एकजुटता बढ़ रही है।

आंदोलन के भविष्य पर नजर
प्रशांत किशोर का आमरण अनशन और अभ्यर्थियों का संघर्ष यह दिखाता है कि वे अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या इन मांगों पर विचार करती है।