कर्नाटक की राजनीति में एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक बी नागेंद्र को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। उन पर 88 करोड़ रुपये के घपले का गंभीर आरोप है, जो महर्षि वाल्मीकि शेड्यूल ट्राइब डेवेलपमेंट कोर्पोरेशन में फंड की हेराफेरी से जुड़ा है। यह गिरफ्तारी राज्य में राजनीति और प्रशासनिक कार्यवाही के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
नागेंद्र की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
बी नागेंद्र, जो कर्नाटक के बल्लारी ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं, पर आरोप है कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति विकास निगम के मंत्री रहते हुए अपने फायदे के लिए फंड की हेराफेरी की। यह मामला तब प्रकाश में आया जब निगम के एक कर्मचारी एन. चंद्रशेखरन ने 26 मई को आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले चंद्रशेखरन ने एक सुसाइड नोट छोड़ा जिसमें उन्होंने मंत्री को दोषी ठहराया। इस घटना के बाद, 6 जून को नागेंद्र ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
ईडी की जांच और गिरफ्तारी
ईडी ने 10-12 जुलाई के बीच नागेंद्र से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। इसके बाद, 12 जुलाई की सुबह उन्हें बेंगलुरु के शांतिनगर में ईडी कार्यालय लाकर पूछताछ की गई। कई घंटों की पूछताछ के बाद, देर रात ईडी ने नागेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। ईडी सूत्रों के मुताबिक, नागेंद्र पर फंड की हेराफेरी का आरोप है, जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 88 करोड़ रुपये की धनराशि का गबन किया।
एसआईटी और सीबीआई की भी जांच
इस प्रकरण की जांच तीन एजेंसियां कर रही हैं: राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी, सीबीआई, और ईडी। एसआईटी ने इस मामले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है और कथित रूप से गबन की गई राशि में से 14.5 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। एसआईटी ने 9 जुलाई को, ईडी की छापेमारी से एक दिन पहले, बी नागेंद्र और रायचूर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक और निगम के अध्यक्ष बसनगौड़ा दद्दाल से भी पूछताछ की थी।
बसनगौड़ा दद्दाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार
बी नागेंद्र की गिरफ्तारी के बाद, अब बसनगौड़ा दद्दाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। एसआईटी और ईडी दोनों ही दद्दाल की भूमिका की जांच कर रही हैं। नागेंद्र की गिरफ्तारी के बाद दद्दाल के खिलाफ भी जांच तेज हो गई है और उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है।
राजनीतिक प्रभाव और आगे की राह
बी नागेंद्र की गिरफ्तारी कर्नाटक की राजनीति में एक बड़ा झटका है, खासकर कांग्रेस पार्टी के लिए। यह मामला राज्य की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना सकता है और आगामी चुनावों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है। इसके अलावा, यह घटना राज्य में प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
नागेंद्र की गिरफ्तारी से यह संदेश भी जाता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह राज्य के अन्य नेताओं और अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि यदि वे भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं, तो उन्हें भी सख्त परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
पूर्व मंत्री बी नागेंद्र की गिरफ्तारी ने कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। 88 करोड़ रुपये के घपले के आरोप में उनकी गिरफ्तारी से राज्य की राजनीतिक स्थिति में उथल-पुथल मच गई है। एसआईटी, सीबीआई, और ईडी की संयुक्त जांच से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नागेंद्र की गिरफ्तारी के बाद अब बसनगौड़ा दद्दाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, जिससे राज्य की राजनीति और अधिक जटिल हो सकती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की जांच और अदालती कार्यवाही में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और इससे राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में क्या बदलाव आते हैं।