भारत-रूस की दोस्ती कभी भी एक खतरे का हिस्सा बन सकती है और इस बार, यह खतरा एक नए पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के रूप में उभरा है। इस सुपर-विमान में लेटेस्ट हथियार होंगे, जिससे दुश्मन पर हमला करना मुश्किल हो जाएगा। यह खबर पाकिस्तान को चुनौती में डालने का प्रमुख कारण बन सकती है।
संभावना है कि भारत में इस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट का निर्माण शुरू हो सकता है, और रूसी अधिकारियों के अनुसार, इस जेट का नाम ‘सुखोई-57’ हो सकता है। यह एक Stealth विमान होगा, जिसका मतलब है कि रडार पर इसे देखा नहीं जा सकेगा, और यह दुश्मन के लिए एक ‘अदृश्य’ हमला बना सकता है।
भारत-रूस की इस साझा उत्पादन की बातें पहले ही शुरू हो गई थीं, लेकिन 2018 में यह समझौता रुक गया था। अब इसके बारे में फिर से चर्चा हो रही है, जिससे भारत और रूस एक बार फिर साझा उत्पादन कर सकते हैं।
सुखोई-57 एक Stealth फाइटर जेट है जिसे रडार पर नहीं देखा जा सकता है, और इसकी क्षमता बहुत उच्च है। यह विमान सुपरसोनिक यानी आवाज से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भर सकता है और विभिन्न प्रकार के हथियारों को अपने साथ ले कर जाने में सक्षम है।
यदि इस साझा उत्पादन का समझौता होता है, तो यह भारत के लिए पहला Stealth फाइटर जेट बन सकता है, जिसे रडार देख नहीं पाएगा। इस विमान का निर्माण भारत में होने से दुनिया भर में भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ सकती है और दुश्मनों को आंखों से ओझल होने का खतरा हो सकता है।
इस बात से साबित होता है कि भारत-रूस की साझा उत्पादन से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सैन्य सामरिकता और रक्षा क्षमता में सुधार की दिशा में है।
इस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के माध्यम से, भारत सरकार ने दिखाया है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर कितनी जिम्मेदारी महसूस कर रही है और वह चाहती है कि सभी लोग स्वस्थ और सुरक्षित रहें। इस प्रकार के सुधारों से ही हम सभी मिलकर समृद्धि और सामाजिक समरसता की दिशा में बढ़ सकते हैं।