लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच राहुल गांधी को एक बड़ा झटका लगा है। झारखंड के रांची जिले की PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने उन्हें एक बार फिर से समन जारी किया है और कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। यह मामला गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
विवादित टिप्पणी और उसका परिणाम
मामला 2018 का है जब राहुल गांधी ने दिल्ली में एक कांग्रेस अधिवेशन के दौरान टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “भाजपा में अगर मर्डर केस का आरोपी अध्यक्ष बन सकता है, लेकिन कांग्रेस में कभी ऐसा हो ही नहीं सकता।” इस टिप्पणी से नाराज होकर भाजपा समर्थक नवीन झा ने रांची की सिविल कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत के आधार पर कोर्ट ने राहुल गांधी को समन जारी किया और उन्हें पेश होने का आदेश दिया।
कोर्ट की कार्रवाई
मंगलवार को MP-MLA कोर्ट में विशेष न्यायिक दंडाधिकारी सार्थक शर्मा ने इस मामले की सुनवाई की। शिकायतकर्ता नवीन झा के वकील बिनोद कुमार साहू ने दलील दी कि राहुल गांधी को समन जारी करके पेश होने का आदेश दिया जाए ताकि सुनवाई आगे बढ़ाई जा सके। इस दलील के आधार पर कोर्ट ने राहुल गांधी को समन जारी किया है। यह दूसरी बार है जब राहुल गांधी को इस मामले में समन जारी किया गया है। इससे पहले, साल 2018 में भी उन्हें समन भेजा गया था।
हाईकोर्ट का आदेश और जुर्माना
पिछले हफ्ते, इसी मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाई थी और उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। जुर्माने की कार्रवाई इसलिए की गई थी क्योंकि राहुल गांधी ने अमित शाह से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जवाब दाखिल करने में देरी की थी। हाईकोर्ट ने उन्हें मामले में जवाब देने का निर्देश दिया था, लेकिन राहुल गांधी ने इसमें देरी की।
अमित शाह और भाजपा की प्रतिक्रिया
जब राहुल गांधी ने यह विवादित बयान दिया था, उस समय अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष थे। उनके बयान के खिलाफ झारखंड के चाईबारा निवासी भाजपा समर्थक प्रताप कटियार ने MP-PMLA कोर्ट में शिकायत दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी के बयान से भाजपा समर्थकों की भावनाओं को ठेस पहुंची है और अमित शाह की छवि खराब हुई है।
वारंट और हाईकोर्ट का दरवाजा
शिकायत पर एक्शन लेते हुए अप्रैल 2022 में राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किए गए थे। हालांकि, राहुल गांधी ने इस वारंट का जवाब नहीं दिया। फरवरी 2004 में फिर से गैर-जमानती वारंट जारी किए गए, जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह मामला अभी भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
चुनावी सरगर्मियों के बीच बढ़ी मुश्किलें
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के बीच यह मामला राहुल गांधी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। भाजपा इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकती है, जबकि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की यह कार्रवाई कांग्रेस के चुनावी अभियान पर असर डाल सकती है।
राजनीतिक असर और भविष्य
राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे इस मामले का राजनीतिक असर भी देखा जा सकता है। भाजपा समर्थक इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमला कर सकते हैं, जबकि कांग्रेस को अपने नेता का बचाव करना होगा। इससे राहुल गांधी की चुनावी रणनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है और उन्हें अपनी छवि को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ सकते हैं।
इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि राजनीति में बयानबाजी का कितना बड़ा महत्व होता है और कैसे एक टिप्पणी किसी भी नेता को कानूनी और राजनीतिक मुश्किलों में डाल सकती है। राहुल गांधी को अब इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और कोर्ट में पेश होकर अपने बचाव के लिए तर्क प्रस्तुत करने होंगे। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला कैसे आगे बढ़ता है और इसके क्या परिणाम होते हैं।