सुल्तानपुर: राहुल गांधी द्वारा सिले गए चप्पलों की चर्चा आजकल हर ओर हो रही है। इस चर्चा का केंद्र बिंदु बने हैं सुल्तानपुर के मोची रामचेत, जिन्होंने हाल ही में राहुल गांधी को अपने दुकान पर देखा। उनके द्वारा सिले गए चप्पलों के लिए रामचेत को दो लाख रुपये तक का ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
राहुल गांधी की सुल्तानपुर यात्रा

26 जुलाई को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मानहानि के मामले में सुल्तानपुर के एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश होने के बाद, राहुल गांधी अचानक रामचेत की दुकान पर पहुंचे थे। यह घटना सभी के लिए आश्चर्यचकित करने वाली थी। कोर्ट से लौटते हुए राहुल गांधी ने आधे घंटे तक रामचेत से बातचीत की और खुद एक टूटे हुए चप्पल पर टांके लगाए।
रामचेत का अनुभव
रामचेत ने बताया कि राहुल गांधी के इस अनपेक्षित दौरे ने उनकी दुकान को सुर्खियों में ला दिया। उन्होंने कहा, “राहुल जी ने हमारे साथ बहुत समय बिताया और हमारे काम की तारीफ की। उन्होंने खुद एक चप्पल पर टांके लगाए और एक जूते को भी चिपकाया। उनके इस सरलता और विनम्रता ने हमें बहुत प्रभावित किया।”
चप्पलों के लिए ऑफर्स की बाढ़
राहुल गांधी द्वारा टांके गए चप्पलों की खबर फैलते ही रामचेत के पास ऑफर्स की बाढ़ आ गई। लोग राहुल गांधी द्वारा सिले गए चप्पल और जूते को खरीदना चाहते थे। किसी ने तो रामचेत को एक जोड़ी चप्पलों को बेचने के एवज में दो लाख रुपये तक का ऑफर दिया। लेकिन रामचेत ने इन सभी ऑफर्स को ठुकरा दिया। उनका कहना है कि वह इन चप्पलों को एक मेमेंटो के रूप में फ्रेम करवाना चाहते हैं और जीवन भर अपने पास रखना चाहते हैं।
राहुल गांधी का उपहार

राहुल गांधी ने अगले ही दिन रामचेत को जूते की सिलाई करने वाली एक इलेक्ट्रिक मशीन भी भिजवाई, जिससे रामचेत और भी खुश हो गए। उन्होंने कहा, “राहुल जी का यह उपहार हमारे लिए बहुत मायने रखता है। उन्होंने हमारे काम को सराहा और हमारी जरूरतों का ध्यान रखा।”
रामचेत बने सेलिब्रिटी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेठी में रामचेत अब एक सेलिब्रिटी बन गए हैं। दूर-दूर से लोग रामचेत की दुकान पर राहुल गांधी द्वारा टांके गए चप्पलों और जूतों को देखने के लिए आते हैं। रामचेत का कहना है कि यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है।
रामचेत का निर्णय
रामचेत ने साफ कर दिया है कि वह इन चप्पलों को किसी भी कीमत पर बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैंने तो उनका नाम और पता भी नहीं पूछा क्योंकि कोई 1 करोड़ देगा तब भी मैं उसे बेचना नहीं चाहता। जब तक जिंदा रहूंगा, उसे अपने पास रखूंगा।”
लोगों की प्रतिक्रिया
रामचेत के इस निर्णय को लेकर लोग भी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। उनके साहस और ईमानदारी की तारीफ हो रही है। लोगों का कहना है कि रामचेत ने दिखाया है कि सच्चे मूल्य और आदर्श पैसे से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।
सरकार और समाज की प्रतिक्रिया
सरकार और समाज ने भी रामचेत के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनकी ईमानदारी और आदर्शों की प्रशंसा की जा रही है। सरकार ने भी रामचेत के इस निर्णय को सराहा और कहा कि यह हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा है।
राहुल गांधी द्वारा सिले गए चप्पलों की यह कहानी सिर्फ एक साधारण घटना नहीं है। यह हमें यह सिखाती है कि सच्चे मूल्य और आदर्श पैसे से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। रामचेत ने दिखाया कि एक साधारण व्यक्ति भी अपने आदर्शों और मूल्य के प्रति समर्पित रह सकता है, चाहे कितनी भी बड़ी रकम का प्रस्ताव क्यों न हो। उनके इस निर्णय ने उन्हें एक सच्चा हीरो बना दिया है और हमें यह सिखाया है कि ईमानदारी और आदर्शों की कोई कीमत नहीं होती।