भाजपा कैंडिडेटों को सिलेक्ट करने की पहल कर चुकी है परन्तु कांग्रेस की अगुआई वाले I.N.D.I.A अलांयस में अब तक संयोजक और सीट शेयरिंग पर कोई बात नहीं बनी. राहुल गाँधी की न्याय यात्रा प्रारम्भ होने वाली है और सपा के साथ बिना डील के ही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का मूड बना लिया है.

अगर आप लोकसभा चुनाव 2024 के लेकर पार्टियों की तैयारियों पर गौर कीजिए तो बीजेपी के मुकाबले विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन ज्यादा धीमी गति से चल रहा है. हो सकता है वे इसे ‘कछुआ चाल’ कहकर भी दुरुस्त करें लेकिन सीट बंटवारे से पहले जिस तरह की खींचतान देखी जा रही है वो कुछ अच्छे संकेत नहीं हैं. बिहार सीएम नीतीश कुमार नाराज हुए और JDU ने अरुणाचल प्रदेश में अपना कैंडिडेट उतार दिया.

वही बंगाल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी बोल रहे हैं कि सबसे पुरानी पार्टी TMC से सीट की भीख नहीं मांगेगी. जवाब में ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने ‘लक्ष्मण रेखा’ खींचते हुए बोले कि गठबंधन सहयोगियों को भला-बुरा कहना और सीट साझा करना एक साथ नहीं हो सकता. प्रश्न ये है कि ऐसे ही चला तो गठबंधन कितने समय चल पाएगा? छत्तीसगढ़-राजस्थान में करारी हार के बाद भी शायद कांग्रेस के तेवर कुछ नरम नहीं हुए हैं जबकि पूर्व से कहा जा रहा है कि NDA को चुनौती देनी है तो उसे गठबंधन के दलों में सभी को बराबर समझना होगा. सबसे अधिक लोकसभा सांसदीय क्षेत्र वाले राज्य यूपी के हालात भी जान लीजिए. राहुल गांधी (Rahul Gandhi Bharat Jodo Nyay Yatra) अगले कुछ ही दिनों में जो ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लेकर निकलने वाले हैं वो सबसे अधिक दूरी यहीं तय करेंगी लेकिन अभी यह भी कुछ साफ नहीं है कि कांग्रेस और सपा में सीटों पर बात बनी भी होगी या नहीं. या कांग्रेस का कुछ अलग दिमाग चल रहा हो ?
दिल्ली में विपक्षी गठबंधन की 19 दिसंबर 2023 को हुई बैठक के बाद 2 हफ्ते से अधिक का समय निकल चुका है लेकिन किसी राज्य में सीट बंटवारा का बात नहीं बन पाया. उलटे तनातनी बिहार, दिल्ली से लेकर यूपी, बंगाल में भी साफ देखी जा रही है. अच्छा होता राहुल गांधी की यात्रा से गठबंधन को कुछ लाभ पहुंचाने की प्रयास की जाती. इसी समय तक संयुक्त रैलियों की प्लानिंग होती तो 2024 के चुनाव में अधिक लाभ हो सकता था.
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का कुछ राज्यवार रूट इस तरह हो सकता है

UP में कांग्रेस का प्लान
UP में राहुल गांधी की ‘यात्रा’ 11 दिन की रहेगी और लगभग 20 जिलों को कवर करेगी. पिछले 4 चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2004 में कांग्रेस को यहां 9, वर्ष 2009 में 21 सीटें मिली थीं. BJP ने जब 2014 में 71 सीटें जीतीं तब कांग्रेस को मात्र दो सीटें ही मिलीं. पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 1 सीट पर सिमट गई. अयोध्या मंदिर निर्माण के बीच क्या कांग्रेस UP में साल 2009 जैसा प्रदर्शन दोहराना चाहती है? हां, अंदरखाने से छनकर जो न्यूज आ रही है उसके अनुसार कांग्रेस पार्टी में इस बात को लेकर गंभीर मंथन चल रहा है कि UP की लगभग 20% दलित आबादी को साधने के लिए क्यों न पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को UP से चुनाव लड़ाया जाए. इसी फॉर्मूले को ध्यान को रखते हुए पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली बैठक में गठबंधन के संयोजक के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया था क्योंकि इससे विपक्षी गठबंधन को कम से कम 58 सीटों पर लाभ हो सकता है, जहां दलित समुदाय की अच्छी-खासी संख्या भी है.
कांग्रेस के भीतर मल्लिकार्जुन खरगे के लिए बिजनौर की नगीना सीट, आगरा और बहराइच पर बात भी चल रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में दलित और मुस्लिम आबादी आधिक है. कांग्रेस को लग रहा है कि अगर यह गठजोड़ साथ आया तो UP से अच्छी-खासी सीटें निकल सकती हैं. हालांकि यह खरगे पर निर्भर करेगा कि वह साउथ छोड़कर नॉर्थ आएंगे या कर्नाटक के साथ UP से भी लड़ेंगे.
अखिलेश क्या मानेंगे?

अब सबसे बड़ा सवाल है. की राहुल गांधी के रूट से साफ है कि कांग्रेस का ध्यान चुनाव से ठीक पहले यूपी पर सबसे अधिक रहने वाला है. जिस तरह की बाते चल रही हैं उससे कहीं अखिलेश यादव अपनी पार्टी को लेकर चिंतित न हों. वैसे भी बीते कुछ दिन पहले तक यह बोला जा रहा था कि सपा UP में कांग्रेस को इकाई में ही सीटें देना चाहती हैं. कुछ रिपोर्टों में 6-7 सीटों की संभावना की गयी थी परन्तु BJP से मुकाबले के लिए पूरे देश में प्रभाव का हवाला देते हुए कांग्रेस मिनिमम 20 सीटें चाहती है. आंकड़े समझें तो साफ दीखता है कि कांग्रेस ‘2009 दोहराना ‘ चाहती है. अगर ऐसा है तो क्या सपा के राजी न होने पर कांग्रेस अलग चुनाव भी लड़ सकती है? कुछ हफ्ते बाद ही यह साफ हो सकेगा .
कांग्रेस vs सपा, कौन क्या कह रहा

इस बीच, सीट शेयरिंग के घोषणा में हो रही देरी के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर 80 में से 65 सीटें स्वयं चाहते हैं, कांग्रेस 7-8 बाकी अन्य दलों को. संभव है कि 14 जनवरी को राहुल की यात्रा प्रारम्भ होने तक अखिलेश यादव सीटों पर फाइनल फैसला ले लें.