सीतामढ़ी जिले के जनकपुर रोड रेलवे स्टेशन पर हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसमें एक युवक को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उसकी आंतें बाहर आ गईं। यह घटना कर्मभूमि एक्सप्रेस ट्रेन के अंदर शुरू हुई थी और स्टेशन पर आते ही हिंसक झड़प में बदल गई।
घटना का विवरण
यह घटना तब शुरू हुई जब कुछ यात्री कर्मभूमि एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे। ट्रेन के अंदर सीट को लेकर विवाद शुरू हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि यात्रियों ने एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया। जब ट्रेन जनकपुर रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंची, तो वहां पर भी यह झगड़ा जारी रहा। जीआरपी पुलिस को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए बुलाया गया।
पुलिस की कार्यवाही
जब जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठियां चलाईं। इस दौरान, जीआरपी के एक जवान ने एक युवक को ट्रेन से उतार कर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। इस पिटाई के कारण युवक का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर आ गईं। डॉक्टरों के अनुसार, मारपीट के दौरान युवक के पेट में लाठी से वार किया गया, जिससे उसकी हाल ही में हुई सर्जरी की जगह पर चोट लग गई और उसके पेट की सिलाई खुल गई। इसी वजह से उसकी आंतें बाहर आ गईं।
पीड़ित की स्थिति
पीड़ित युवक, जिसका नाम मोहम्मद फुर्कान है, गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत पुपरी पीएचसी में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया। डॉक्टर अपूर्वा अग्रवाल ने बताया कि फुर्कान का पेट फट जाने की वजह से उसकी छोटी आंत बाहर निकल आई है।
पुलिस का पक्ष
जीआरपी कांस्टेबल दयानंद पासवान ने बताया कि यह घटना यात्रियों के आपसी झगड़े के कारण हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जीआरपी पुलिस ने सिर्फ स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की थी। वहीं, रेल एसपी ने बताया कि सीट को लेकर ट्रेन के अंदर दो पक्षों में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसके बाद जीआरपी पुलिस ने हस्तक्षेप किया। इस मामले में दो जीआरपी जवानों को सस्पेंड कर दिया गया है।
भीड़ का आक्रोश
जब यह घटना हुई, तो भीड़ ने जीआरपी पुलिस पर हमला कर दिया। इसमें एक जीआरपी जवान भी जख्मी हो गया। इस घटना ने स्थानीय लोगों के बीच काफी आक्रोश पैदा कर दिया है और कई लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं। पीड़ित युवक और उसके परिजनों ने जीआरपी पुलिस पर बेवजह मारपीट का आरोप लगाया है और न्याय की मांग की है।
यह घटना हमारे समाज में कानून व्यवस्था और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाती है। एक ओर, जहां पुलिस को शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं इस घटना में उनकी भूमिका ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिस की यह कार्यवाही वाजिब थी? क्या इस तरह की हिंसक कार्यवाही को उचित ठहराया जा सकता है? इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि पुलिस बल के इस्तेमाल में संयम और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
युवक की हालत गंभीर है और उसे बेहतर इलाज की आवश्यकता है। इस मामले में न्यायिक जांच की मांग उठ रही है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को उचित सजा मिल सके। इस घटना ने यह भी दर्शाया है कि हमें अपने समाज में हिंसा और आक्रोश को नियंत्रित करने के लिए संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।