राजस्थान विधानसभा में सोमवार की रात एक अद्वितीय दृश्य देखने को मिला, जब कांग्रेस विधायक अपने साथ तकिया और गद्दा लेकर विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए। इस अनोखे विरोध प्रदर्शन ने ना सिर्फ राज्य की राजनीति में हलचल मचाई, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा पर भी सवाल खड़े किए।
धरना और भजन
धरने के दौरान कांग्रेस विधायकों ने तालियां बजाकर ‘रघुपति राघव राजाराम… पतित पावन सीता राम’ का भजन गाया। यह दृश्य अपने आप में खास था, क्योंकि विधानसभा के अंदर ऐसे धार्मिक भजन और धरना का आयोजन पहले कभी नहीं देखा गया। कांग्रेस की 7 महिला विधायकों ने भी धरने में भाग लिया। इन विधायकों में अनीता जाटव, शिखा मील बराला, इंद्रा मीणा, रमीला खड़िया, सुशीला डूडी, गीता बरवड़ और शिमला देवी शामिल थीं।
अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस धरने का समर्थन करते हुए विधानसभा में विपक्ष के विधायकों के साथ हो रहे अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण व्यवहार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “विधानसभा में विपक्ष के विधायकों के साथ जिस तरह का अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।” गहलोत ने निलंबित कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर के निलंबन को भी अनुचित ठहराया और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
मुकेश भाकर का निलंबन
सोमवार को सरकारी वकीलों की नियुक्ति से जुड़े मुद्दे पर सदन में हंगामे और नारेबाजी के बीच विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को शेष सत्र के लिए निलंबित करने की घोषणा की। इस निलंबन को कांग्रेस ने अलोकतांत्रिक करार दिया और इसे सरकार की तानाशाही का उदाहरण बताया।
विधानसभा में हंगामा
विधानसभा में हंगामा तब शुरू हुआ जब अध्यक्ष संदीप शर्मा ने मार्शलों को निलंबित विधायक को सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया। इस पर कांग्रेस के अन्य विधायकों ने मार्शलों को रोका और विधायक को बाहर निकालने से मना कर दिया। इसके चलते सदन में जमकर हंगामा हुआ और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
महिला कांग्रेस विधायकों की टूटी चूड़ियां
हाथापाई के दौरान एक महिला कांग्रेस विधायक गिर गईं, जबकि अन्य महिला विधायकों ने कहा कि उनकी चूड़ियां टूट गईं। इस दौरान नारेबाजी करते हुए कांग्रेस विधायक सदन के वेल में आ गए और स्थिति को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित करने के बावजूद कांग्रेस विधायक धरने पर बैठे रहे और यह धरना रात भर चला।
धरने के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
कांग्रेस विधायकों का यह धरना राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है। यह धरना न सिर्फ विपक्ष के विरोध को मजबूत करता है, बल्कि सरकार पर दबाव बनाने की एक रणनीति भी है। कांग्रेस ने इस धरने के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह किसी भी कीमत पर जनता के मुद्दों को उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
लोकतंत्र की चुनौती
विधानसभा में इस तरह के घटनाक्रम ने लोकतंत्र की गरिमा पर भी सवाल खड़े किए हैं। यह घटना दिखाती है कि कैसे राजनीतिक दल अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका अहम होती है, लेकिन इसे निभाने के लिए अलोकतांत्रिक तरीकों का सहारा लेना उचित नहीं माना जा सकता।
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायकों का यह धरना और भजन गाने का अनोखा तरीका राजनीतिक इतिहास में दर्ज हो गया है। यह घटना न सिर्फ राज्य की राजनीति को प्रभावित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई देगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे को कैसे हल करते हैं और लोकतंत्र की मर्यादा को बनाए रखते हैं।