भारतीय सांस्कृतिक स्वतंत्रता के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक है राम नवमी, जिसे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर, भगवान राम के भक्तों ने एक अनोखी पहल की है और रामलला की आरती के लिए जोधपुर से 600 किलो देसी घी का भेजा है। इस यात्रा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है जो नैतिकता और आदर्शों की भावना को प्रमोट करती है।
जोधपुर के प्रमुख राम भक्त महंत महर्षि संदीपनी महाराज ने नौ साल पहले एक संकल्प लिया था कि जब भगवान श्रीराम का मंदिर बनेगा, उसके लिए वह जोधपुर से विशेष देसी घी अयोध्या भेजेंगे। इस संकल्प को पूरा करने के लिए, उन्होंने जोधपुर से रवाना होने वाली घी-रथ यात्रा का आयोजन किया। यात्रा ने जोधपुर से रवाना होकर जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ के माध्यम से अयोध्या की ओर अपना पथ प्रस्थान किया।
घी यात्रा के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया, जिसमें देसी गायों का दुग्ध से बनाया गया। इसके लिए महाराज ने गायों की डाइट में भी परिवर्तन किया और हरा चरा, सूखा चारा, और पानी को मुख्य आहार में शामिल किया। गायों की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों का इस्तेमाल किया गया, जिससे ताजगी और प्राकृतिकता की हरियाली बनी रही। यह एक बड़े संबंध की बात है कि गायों की संख्या नौ साल में 60 से बढ़कर 350 हो गई और इससे घी की मात्रा में वृद्धि हुई।
घी को निर्माण के बाद, इसका सुरक्षण सबसे महत्वपूर्ण रहता है। इसके लिए घी को स्टील की टंकियों में रखा गया जो 16 डिग्री तापमान में स्थित हैं। साथ ही, यह योजनाबद्ध रूप से हर तीन साल में उबाला जाता है, जिससे घी सुरक्षित रहता है और उसकी शुद्धता बनाए रखी जाती है। सुरक्षित स्टोरेज और वेंटिलेशन का भी ध्यान रखा गया है ताकि घी किसी भी प्रकार के कीटाणुओं या आलसीता से मुक्त रहे।
इस यात्रा के माध्यम से भक्तों ने अपने नैतिक और आदर्शिक सिद्धांतों को प्रमोट किया है। यह नहीं सिर्फ एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक ऐसा साहित्यिक और सांस्कृतिक इवेंट है जो लोगों को भगवान श्रीराम के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक अद्वितीय और साथी तरीका प्रदान करता है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमारे संकल्प और प्रतिबद्धता के माध्यम से ही हम अद्वितीय और सकारात्मक परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं। महंत महर्षि संदीपनी महाराज की इस यात्रा से हमें यह भी दिखता है कि किसी भी यात्रा का सफलता से संबंधित होने के लिए आदर्शों, नैतिकता, और समर्पण की भावना अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।
इस प्रकार, जोधपुर से भेजे गए विशेष देसी घी के साथ रामलला की आरती ने एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यह एक श्रद्धांजलि है जो एक सशक्त और समर्थ भक्त समुदाय की अद्वितीयता और आदर्शों को प्रमोट करती है।