संयुक्त राज्य अमेरिका से अहम एआई ऑर्डर का आधार महात्मा गांधी ने कहा था, “तकनीकी योजनाएं उसी समय सफल हो सकती हैं जब वे समाज कल्याण की दिशा में लगाई जाती हैं।” इसी दृष्टिकोण से, सोमवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक अद्वितीय और ऐतिहासिक ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए है।
इस ऑर्डर की विशेषता यह है कि इसने एआई के उपयोग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने की कड़ी की है, जो पहले किसी भी सरकार द्वारा नहीं की गई है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऑर्डर के पहले ही साइन करते हुए बताया कि एआई तानाशाही गति से बदलाव ला सकता है, लेकिन इसमें जबरदस्त क्षमता के साथ-साथ खतरे भी हैं। उन्होंने इस तकनीक को नियंत्रित करने की आवश्यकता को महत्वपूर्णता दी और उच्च स्तर के सुरक्षा उपायों की आवश्यकता बताई। इस ऑर्डर का मकसद है सुनिश्चित करना कि एआई भ्रामक और विनाशकारी होने के बजाय भरोसेमंद और मददगार बने।
डिफेंस प्रॉडक्शन एक्ट का इस्तेमाल करते हुए, ऑर्डर में प्रमुख एआई डेवलपर्स को सरकार के साथ सुरक्षित टेस्ट रिजल्ट और अन्य जानकारी शेयर करने की जरुरत बताई गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी को ऐसे स्टैडैंर्ड बनाने होंगे जिससे कि पब्लिक रिलीज से पहले एआई डिवाइस का सुरक्षित होना निश्चित किया जा सके। इससे इस तकनीक के बढ़ते उपयोग को सुरक्षित और स्वीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ जेफ जैंट्स ने बाइडेन के उस निर्देश को याद किया जो उन्होंन ऑर्डर ड्राफ्ट करते वक्त दिए थे। उनके अनुसार, सरकार ने सोशल मीडिया के जोखिमों पर ध्यान देने में लेट कर दी और अब अमेरिकी युवा इससे जुड़ी मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।