बिहार में 2025 के चुनाव के आसपास राजनीतिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं और यहाँ के सत्ताधारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजनीतिक प्रतिस्पर्धी तेजस्वी यादव के बीच खींचतान में बढ़ोतरी हो रही है। इसका परिणामस्वरूप, बिहार विधानसभा को भंग किए जाने की सम्भावना है और इस परिस्थिति में गृह मंत्री अमित शाह ने पुराने साथियों को लेकर नीतीश कुमार से चर्चा करने का संकेत किया है।

बिहार में आने वाले 24 घंटों में सियासी उलटफेर की उम्मीद है, और यह बड़ा सांघर्षिक पल हो सकता है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा भंग कर सकते हैं, और इस पर विचार कर रहे हैं। इस समय, जब ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल बंगाल और पंजाब में अपनी पार्टियों के साथ अकेले चुनाव लड़ रहे हैं, बिहार में भी नई राजनीतिक मोड़ आया है।
नीतीश कुमार ने हाल ही में लालू परिवार पर निशाना साधा है, जिससे साफ जाहिर होता है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच कोई सियासी खिचड़ी हो सकती है। नीतीश की यह कदम से उनका मिजाज बदल गया है, और उनके नए संबंधों की ओर इशारा किया जा रहा है।

सीएम नीतीश को आरजेडी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने के मामले में डर है, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव से भी कम समर्थन मिल सकता है। उनके विधायकों की तमाम समर्थन बड़ी संख्या में नहीं हैं, और इससे उन्हें नीतीश कुमार की सत्ता पर खतरा हो सकता है। इस विवादमय परिस्थिति में नीतीश कुमार का फैसला सोच-समझकर किया जा रहा है।

आने वाले दिनों में इस मुद्दे की और भी खोज हो सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार को अपने संगठन को सही राह पर ले जाने के लिए सही रणनीति अपनानी होगी। इससे पहले की चुनौती, वह अपने सांघर्षिक परिस्थितियों को सामाजिक न्याय और विकास की दिशा में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
इस बीच, राजनीतिक गतिविधियों के बारे में हर अपडेट के लिए हमसे जुड़े रहें, क्योंकि बिहार की सीघ्रता बढ़ रही है और यह सियासी संगीत का एक नया सुर हो सकता है।