यूक्रेन से जंग के बीच रूस और अमेरिका के बीच हुई इस ऐतिहासिक समझौते ने वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। यह डील सोवियत संघ के बाद के इतिहास में सबसे बड़ी कैदियों की अदला-बदली मानी जा रही है। इस समझौते के अंतर्गत मॉस्को ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर इवान गेर्शकोविच, मिशिगन के कॉर्पोरेट सुरक्षा कार्यकारी पॉल व्हेलन और व्लादिमीर कारा-मुर्जा समेत अन्य को रिहा किया है।
समझौते की पृष्ठभूमि

रूस-यूक्रेन जंग के दौरान वाशिंगटन और मॉस्को के बीच संबंध बेहद निचले स्तर पर आ गए थे। इसके बावजूद बंदियों की अदला-बदली के लिए पिछले दरवाजे से गुप्त बैठकें होती रहीं। यह समझौता पिछले दो वर्षों में रूस और अमेरिका के बीच कैदियों की अदला-बदली के लिए की गई बातचीत का नतीजा है।
अमेरिका को चुकानी पड़ी बड़ी कीमत
अमेरिका को अपने नागरिकों की रिहाई के लिए एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। रूस ने पश्चिम में गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए अपने नागरिकों की रिहाई को सुनिश्चित कर लिया है। इसके बदले में पत्रकारों, असंतुष्टों और अन्य पश्चिमी बंदियों को मुक्त करने के लिए अमेरिका को मजबूर किया गया।
रिहाई के प्रमुख चेहरे

इस समझौते के तहत रूस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाता इवान गेर्शकोविच को रिहा किया, जिन्हें 2023 में गिरफ्तार किया गया था और जुलाई में जासूसी के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा मिशिगन के कॉर्पोरेट सुरक्षा कार्यकारी पॉल व्हेलन को भी रिहा किया गया है, जो 2018 से जासूसी के आरोप में जेल में थे।
अन्य रिहाई
रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी के पत्रकार अलसु कुर्मशेवा को भी समझौते के तहत रिहा किया गया है, जिनके पास अमेरिका-रूस की दोहरी नागरिकता है और उन्हें जुलाई में रूसी सेना के बारे में गलत जानकारी फैलाने के लिए दोषी ठहराया गया था। रिहा किए गए असंतुष्टों में क्रेमलिन के आलोचक और पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक व्लादिमीर कारा-मुर्जा भी शामिल हैं, जो देशद्रोह के आरोप में 25 साल की सजा काट रहे थे। उनके अलावा रिहा किए गए लोगों में रूस के 11 राजनीतिक कैदी हैं, जिनमें दिवंगत रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी के सहयोगी और बेलारूस में गिरफ्तार एक जर्मन नागरिक शामिल हैं।
समझौते का राजनीतिक महत्व

यह समझौता रूस और अमेरिका के बीच वर्तमान तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद किया गया है। इसने दोनों देशों के बीच बातचीत के नए रास्ते खोल दिए हैं। कैदियों की अदला-बदली के जरिए दोनों देशों ने यह संकेत दिया है कि संवाद के जरिए समस्याओं का समाधान संभव है।
समझौते की प्रक्रिया
इस समझौते को अंतिम रूप देने में कई महीने की बातचीत और गुप्त बैठकें शामिल थीं। अमेरिका और रूस दोनों ने अपने-अपने नागरिकों की सुरक्षा और रिहाई के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए। इस पूरी प्रक्रिया में दोनों देशों की सरकारों के शीर्ष अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
वैश्विक प्रतिक्रिया
इस समझौते की वैश्विक प्रतिक्रिया भी मिली-जुली रही है। कई देशों ने इस समझौते का स्वागत किया है, वहीं कुछ देशों ने इसे रूस की चाल के रूप में देखा है। पश्चिमी मीडिया ने इस समझौते को अमेरिकी नीति की जीत के रूप में देखा है, जबकि रूस ने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता बताया है।
रूस और अमेरिका के बीच हुई यह कैदियों की अदला-बदली न केवल दोनों देशों के संबंधों में सुधार की संभावना को दर्शाती है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस समझौते के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश भविष्य में किस प्रकार के संबंध स्थापित करते हैं और क्या यह समझौता उनके बीच के तनाव को कम करने में सफल होता है या नहीं।
यह डील एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देगी। इस समझौते से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक राजनीति में संवाद और समझौता ही आगे बढ़ने का रास्ता है।