लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को सदन में बिना किसी का नाम लिए चुटकी लेते हुए कहा, “आजकल यहां महाभारत सुनाने का किस्सा ज्यादा चलता है।” यह टिप्पणी उस समय की गई जब प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सांसद प्रदीप पुरोहित ने आयुष मंत्रालय से संबंधित प्रश्न पूछने के दौरान रामायण के एक प्रसंग का उल्लेख किया। इस पर बिरला ने कहा, “आप महाभारत मत सुनाइए, प्रश्न पूछिए। आजकल महाभारत सुनाने का कहानी ज्यादा चलता है यहां पर।”
महाभारत और रामायण के प्रसंग का संदर्भ

ओम बिरला का यह तंज बिना किसी का नाम लिए राहुल गांधी की ओर इशारा करता है। राहुल गांधी ने गत सोमवार को सदन में बजट पर चर्चा के दौरान महाभारत के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिंदुस्तान को अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसा रही है और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इस चक्रव्यूह को तोड़ेगा।
राहुल गांधी के चक्रव्यूह वाले बयान पर तंज

राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था, “हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा गया था। आज भी चक्रव्यूह रचने वाले छह लोग हैं।” इस बयान के बाद सदन में काफी हंगामा हुआ। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा चार और लोगों का नाम लिया था, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताई।
जाति पर गरमा-गरमी
राहुल गांधी के बयान के बाद सदन में जाति को लेकर भी बहस छिड़ गई। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक बयान देते हुए कहा कि जिसे अपनी जाति का पता नहीं, वह जातिगत जनगणना कराने की बात करता है। इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने का प्रयास किया। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अनुराग ठाकुर को घेरने का प्रयास किया और कहा कि आखिर ये किसी की जाति के बारे में कैसे पूछ सकते हैं। यह पूरी तरह से अनुचित व्यवहार है।
ओम बिरला का तंज

ओम बिरला की यह टिप्पणी सदन में हाल के घटनाक्रमों पर कटाक्ष करने का एक तरीका था। उनका कहना था कि सदन में प्रश्नकाल के दौरान महाभारत और रामायण के प्रसंग सुनाने के बजाय मुद्दों पर केंद्रित रहना चाहिए। बिरला ने कहा, “आजकल महाभारत सुनाने का किस्सा ज्यादा चलता है यहां पर।” यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से राहुल गांधी के चक्रव्यूह वाले बयान पर एक प्रतिक्रिया थी।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ
ओम बिरला की इस टिप्पणी पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ भी आईं। कांग्रेस ने इसे सरकार की आलोचना का दमन करने की कोशिश बताया, जबकि भाजपा ने इसे सदन की गरिमा बनाए रखने का एक प्रयास बताया। दोनों दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने-अपने पक्ष रखे और अपने-अपने विचारों को प्रस्तुत किया।
लोकसभा में महाभारत और रामायण के प्रसंगों का उल्लेख करने पर ओम बिरला का तंज राजनीतिक माहौल को दर्शाता है। यह टिप्पणी सदन में हो रही बहस और आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया का हिस्सा थी। बिरला ने अपने बयान में सदन के सदस्यों को मुद्दों पर केंद्रित रहने और महाभारत के प्रसंगों से बचने की सलाह दी। इस टिप्पणी के बाद सदन में विभिन्न दलों के नेताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में महाभारत और रामायण जैसे महान ग्रंथों का उपयोग कैसे किया जा रहा है।
इस तरह की टिप्पणियों और बहसों से सदन की कार्यवाही और राजनीतिक माहौल पर प्रभाव पड़ता है। ओम बिरला का यह तंज और राहुल गांधी का चक्रव्यूह वाला बयान भारतीय राजनीति के जटिल और विविधतापूर्ण चरित्र को प्रकट करता है। यह दर्शाता है कि किस प्रकार से ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंगों का उपयोग वर्तमान राजनीतिक संदर्भों में किया जाता है।