समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद अफजाल अंसारी संसद में मौजूद थे, लेकिन उन्हें सांसद पद की शपथ नहीं दिलाई गई। यह घटना राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
अफजाल अंसारी की स्थिति
अफजाल अंसारी, जो गाजीपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे, संसद में उपस्थित रहे। वे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बगल में बैठे थे। यूपी के सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान भी वे संसद में मौजूद थे और अन्य सांसदों से मिले, चर्चा की, लेकिन जब उन्हें शपथ नहीं दिलाई गई तो वे सदन से वापस चले गए।
लोकसभा सचिवालय का स्पष्टीकरण
लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अफजाल अंसारी की अपील के संदर्भ में 14 दिसंबर 2023 को आदेश पारित किया गया था, जिसमें गाजीपुर स्पेशल कोर्ट द्वारा ट्रायल 980/2012 में अफजाल अंसारी को दोषसिद्धि के आदेश को निलंबित कर दिया गया था। उसी आदेश में उन्हें सदन की कार्यवाही में भी भाग लेने से रोका गया था।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अफजाल अंसारी को संसद की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट से उनकी अपील पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक वह संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकते। इसके साथ ही वह सदन में किसी मुद्दे पर वोट भी नहीं कर सकते।
अफजाल अंसारी का आपराधिक मामला
पिछली बार बसपा के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव जीतने वाले अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में चार साल की सजा सुनाई गई थी। इस सजा के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई थी। इसके बाद वह हाई कोर्ट गए, लेकिन वहां से राहत ना मिलने पर सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट से उनकी सदस्यता तो वापस मिल गई, लेकिन अदालत ने कुछ पाबंदियां लगा दीं।
राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य
अफजाल अंसारी का मामला यह दर्शाता है कि भारतीय राजनीति में आपराधिक मामलों के साथ सांसदों की भूमिका कितनी जटिल हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि के बावजूद उनकी सदस्यता बहाल की गई है, लेकिन उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने से रोका गया है।
कानूनी बाधाएं और संसद की कार्यवाही
यह घटना यह भी दर्शाती है कि कानूनी बाधाओं के कारण सांसदों की संसद में भागीदारी में कैसे रुकावट आ सकती है। अफजाल अंसारी का मामला एक उदाहरण है कि कैसे एक सांसद की शपथ ग्रहण और संसद की कार्यवाही में भागीदारी कानूनी मुद्दों के कारण प्रभावित हो सकती है।
अफजाल अंसारी की संसद में मौजूदगी और शपथ ग्रहण न होने की घटना भारतीय राजनीति और कानूनी प्रणाली की जटिलताओं को उजागर करती है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे कानूनी मुद्दे और अदालती निर्णय एक सांसद की संसद में भागीदारी को प्रभावित कर सकते हैं। अफजाल अंसारी का मामला भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है और यह देखने लायक है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से उनकी अपील पर क्या निर्णय आता है और उसके बाद उनकी संसद में भागीदारी कैसी होती है।