ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में हुए हिंसक घटनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘अराजकतावादियों’ ने देश में श्रीलंका जैसी अराजकता फैलाने और उनकी सरकार को गिराने की योजना बनाई थी। बांग्लादेश में बीते दिनों पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें देखने को मिली थीं। यह प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वाले लड़कों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था।
‘सरकार को हटाने की थी योजना’

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा से मुलाकात के दौरान कहा, “वास्तव में, उन्होंने (अराजकतावादियों ने) श्रीलंका जैसी हिंसा फैलाने और सरकार को हटाने की योजना बनाई थी।” यह बयान हसीना ने अपने सरकारी आवास ‘गणभवन’ में दिया। इससे पहले हसीना ने कहा था कि उनकी सरकार ने हाल ही में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हुई देशव्यापी हिंसा की उचित जांच करने और हमलों में शामिल वास्तविक दोषियों को दंडित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सहयोग मांगा है।
‘सामान्य नहीं था आंदोलन’

प्रधानमंत्री के प्रेस सचिव मोहम्मद नईमुल इस्लाम खान ने हसीना और वर्मा की मुलाकात की जानकारी संवाददाताओं को दी। इस साल जनवरी में रिकॉर्ड चौथी बार फिर से निर्वाचित हुई हसीना ने कहा कि आरक्षण सुधार पर हालिया आंदोलन बिलकुल भी सामान्य आंदोलन नहीं था, बल्कि एक वक्त पर यह लगभग आतंकवादी हमले में बदल गया। जुलाई के बिच में हुई हिंसा में कम से कम 150 लोग मारे गए, कई हजार लोग जख्मी हुए और प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचा।
भारत का समर्थन
भारत ने बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों को देश का ‘आंतरिक’ मामला बताया था। भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान-माल के हुए नुकसान पर शोक व्यक्त किया। वर्मा ने कहा कि भारत, सबसे करीबी पड़ोसी के रूप में, प्रगतिशील और समृद्ध बांग्लादेश के दृष्टिकोण के लिए हमेशा बांग्लादेश सरकार और उसके लोगों को समर्थन देता है।
हिंसा के पीछे की मंशा
हसीना ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि इस आंदोलन के पीछे की मंशा केवल आरक्षण व्यवस्था का विरोध नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य देश में अस्थिरता पैदा करना और सरकार को अस्थिर करना था। उन्होंने कहा कि अराजकतावादी तत्वों ने इस आंदोलन को हिंसक बनाने की कोशिश की, ताकि वे अपने नापाक इरादों को अंजाम दे सकें।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग

हसीना ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने इस हिंसा की उचित जांच करने और दोषियों को दंडित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी प्रकार की अराजकता और हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
आरक्षण प्रणाली का विवाद
आरक्षण प्रणाली को लेकर बांग्लादेश में लंबे समय से विवाद चल रहा है। 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को लेकर छात्रों और युवाओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि यह आरक्षण प्रणाली उनके अधिकारों का हनन करती है और इसके खिलाफ वे लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार का रूख
सरकार ने आरक्षण प्रणाली में सुधार की बात कही है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुधार पर्याप्त नहीं हैं। वे इस आरक्षण प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। हसीना ने कहा कि सरकार सुधार के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी भी प्रकार की हिंसा और अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नतीजे और भविष्य
बांग्लादेश में हुई हिंसा और उसके बाद की घटनाएं यह दिखाती हैं कि देश में सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता कितनी गहरी हो सकती है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार किसी भी प्रकार की अराजकता को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। भारत का समर्थन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग इस संकट से निपटने में बांग्लादेश की मदद करेगा।
बांग्लादेश में हाल में हुई हिंसा और अराजकता के प्रयासों ने देश को एक गंभीर संकट की स्थिति में ला दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इसे सरकार को गिराने की साजिश करार दिया है और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का वादा किया है। आरक्षण प्रणाली को लेकर विवाद और इसके खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा और अराजकता को बर्दाश्त नहीं करेगी। भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन बांग्लादेश को इस संकट से उबरने में मदद करेगा।