अर्थव्यवस्था के संकट के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की समस्या गहनता से बढ़ रही है। हाल ही में जारी डेटा के अनुसार भारत में बेरोजगारी की दर तीन महीनों के दौरान बढ़ी है। इस डेटा के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है, जबकि महिलाओं के बीच बेरोजगारी की दर में कमी आई है। हालांकि, एक साल के अंतराल में रोजगार के मामले में सुधार आया है और इसमें बढ़ोतरी हुई है।
पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) ने देश में रोजगार की स्थिति को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इस सर्वे के अनुसार, तीसरी तिमाही में (अक्टूबर-दिसंबर) शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी थी, जो चौथी तिमाही में (जनवरी-मार्च) 6.7 फीसदी हो गई है। इस अवधि में बेरोजगारी की दर में 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस सर्वे में 15 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया है।

एक साल के अंतराल में, शहरी क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति में सुधार आया है। वित्त वर्ष 2022-23 में चौथी तिमाही में देश में बेरोजगारी दर 6.8 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 6.7 फीसदी हो गई है। इस प्रकार, बेरोजगारी दर में पिछले एक वर्ष में 0.1 % की मामूली गिरावट आई है।
महिलाओं की बेरोजगारी दर में भी एक साल में सुधार आया है। जनवरी-मार्च 2023 में महिलाओं में बेरोजगारी दर 9.2 फीसदी थी, जो जनवरी-मार्च 2024 में 8.5 फीसदी हो गई है। वहीं पुरुषों में बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जनवरी-मार्च 2023 में पुरुषों में बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी, जो एक साल बाद 6.1 फीसदी हो गई है।
इस समय देश में श्रम बल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है। जनवरी-मार्च 2023 में यह 48.5 फीसदी थी, जो जनवरी-मार्च 2024 में 50.2 फीसदी हो गई है। यह भागीदारी 15 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में बढ़ी है। पुरुषों की भागीदारी 73.5 फीसदी से 74.4 फीसदी हो गई है, जबकि महिलाओं में भी इस भागीदारी में वृद्धि हुई है। महिलाओं में यह भागीदारी 22.7 फीसदी से 25.6 फीसदी हो गई है।

पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) देश की जनसंख्या का वह भाग होता है जो सामान के उत्पादन और सेवाओं के लिए काम (श्रम यानी लेबर) करता है और उसके बदले पैसा पाता है। PLFS को नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने वर्ष 2017 में लॉन्च किया था।
भारत में बेरोजगारी की यह वृद्धि चिंताजनक है, और सरकार को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। नौकरी परिस्थितियों में सुधार के लिए कदम उठाने, उद्योगों को बढ़ावा देने और महिलाओं को रोजगार के मौके प्रदान करने के लिए नीतियों को बनाए रखने की आवश्यकता है।