बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में शेख हसीना का नाम प्रमुख रूप से जाना जाता है। शेख हसीना, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता रही हैं, उन्हें हाल ही में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। यह स्थिति बांग्लादेश के इतिहास में एक नए राजनीतिक उथल-पुथल का प्रतीक है।
शेख हसीना का देश छोड़ना
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हुए उबाल ने देश को हिला कर रख दिया है। 36 दिनों के भीतर 360 लोग मारे गए और हालात नियंत्रण से बाहर हो गए। सेना ने गोली चलाने से इनकार करते हुए अवामी लीग की नेता और प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद को महज 45 मिनट में देश छोड़ने के लिए कहा। वह बांग्लादेश की अवाम के लिए एक भाषण रिकॉर्ड करके जाना चाहती थीं लेकिन सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए सेना ने यह अनुमति नहीं दी। वायुसेना के हेलीकॉप्टर से उन्हें बांग्लादेश से निकाल दिया गया और अब वे भारत में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में एयरफोर्स की निगरानी में हैं।
शेख हसीना के बच्चे
शेख हसीना के दो बच्चे हैं: बेटी साइमा वाजेद (पुतुल) और बेटा साजिब वाजेद (जॉय)। उनकी बेटी साइमा वाजेद दिल्ली में रहती हैं और पिछले साल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रीजनल डायरेक्टर बनी थीं। उनका बेटा साजिब वाजेद (जॉय) विदेश में रहते हैं और वह एक बिजनेसमैन और अवामी लीग के सक्रिय सदस्य हैं।
शेख हसीना का परिवार
शेख हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना भी उनके साथ हैं। शेख रेहाना के पास ब्रिटेन की नागरिकता है और उनके पति प्रोफेसर शफीक अहमद सिद्दीक हैं। उनके तीन बच्चे हैं: बड़ी बेटी ट्यूलिप सिद्दीक, जो ब्रिटेन की सत्ताधारी लेबर पार्टी से जुड़ी हैं और इस वक्त सांसद हैं, बेटा रदवान मुजीब सिद्दीक, जो एक अंतरराष्ट्रीय संगठन में काम करते हैं, और छोटी बेटी अजमीना सिद्दीक, जो लंदन में ग्लोबल रिस्क एनालिसिस एडिटर हैं।
भारत से नाता
यह पहली बार नहीं है कि शेख हसीना और शेख रेहाना संकट के समय भारत आए हैं। 1975 में जब बांग्लादेश में पहला तख्तापलट हुआ, तब भी शेख हसीना और शेख रेहाना जर्मनी में थीं और भारत ने उनकी मदद की थी। 1975 से लेकर 1981 तक वे दिल्ली के पंडारा रोड पर छद्म नाम से रहे। उसके बाद 1981 में शेख हसीना ने अवामी लीग की कमान संभाली और बांग्लादेश लौटीं।
भविष्य की योजनाएं
शेख हसीना और शेख रेहाना की भारत में मौजूदगी के बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि वे भविष्य में कहां रहेंगे। शेख हसीना के बेटे और बेटी दोनों ही विदेश में रहते हैं और उनके पास वैश्विक कनेक्शन हैं। इसलिए, संभावना है कि शेख हसीना कुछ समय के लिए भारत में रहेंगी और फिर ब्रिटेन में शरण लेने की कोशिश करेंगी।
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों ने देश को राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से हिला दिया है। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सेना ने देश में कर्फ्यू लगा दिया और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीबर रहमान और उनके परिवार के 18 लोगों की हत्या के बाद शेख हसीना और शेख रेहाना ही बचे थे। इस इतिहास को देखते हुए, शेख हसीना का निर्वासन बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है।
शेख हसीना का बांग्लादेश छोड़ना और भारत में शरण लेना उनके परिवार के लिए एक नई चुनौती है। उनके बच्चों की सुरक्षित स्थिति के बावजूद, शेख हसीना और शेख रेहाना को एक बार फिर से अपने भविष्य के लिए एक नई दिशा की तलाश करनी होगी। बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति और शेख हसीना के निर्वासन ने न केवल बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि इसे एक नया मोड़ भी दिया है।