शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के भाषण का मुख्य संदेश यह है, कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन यह सुधार सुधारात्मक और निर्दण्डात्मक दोनों होने चाहिए। उन्होंने हड़बड़ी में निर्णय न लेने की सलाह दी है, क्योंकि इससे खामियां आ सकती हैं और शिक्षकों को परेशानी हो सकती है। वे निरीक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्य करते हैं, लेकिन इसे सुधारात्मक और न्यायिक बनाने की आवश्यकता है, और दंडात्मक कार्रवाई से बचने की सलाह देते हैं।
शिक्षा में आउटसोर्सिंग पर दी गई व्यक्तिगत राय
उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्तियों के सम्बंध में भी बात की है और सुनिश्चित किया है कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं होती है। वे दलालों के चक्कर में न पड़ने की सलाह देते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में लोकशाही का पालन करने की बजाय तानाशाही का समर्थन नहीं करते हैं।
शिक्षा में सुधार के दिशा में उठाए जा रहे कदम
इसके अलावा, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा लिए जा रहे कई उपायों का भी इशारा किया है और सुधार के दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालाँकि अपर मुख्य सचिव का नाम नहीं लिया पर बातो-बातो में इशारा कर गए |
चंद्रशेखर मंत्री ने प्रजातंत्र के माध्यम से सरकार के निर्णयों की महत्वपूर्णता को बताया है
चंद्रशेखर मंत्री ने प्रजातंत्र के माध्यम से सरकार के निर्णयों की महत्वपूर्णता को बताया है और यह सुनिश्चित किया है कि सरकार का काम लोगों के हित में हो।इस तरह, चंद्रशेखर शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए समझदारी और सुधारात्मक कार्रवाई की प्राथमिकता देते हैं और दंडात्मक उपायों की बजाय सुधार के दिशा में कदम उठाने की सलाह देते हैं।