शिमला में मंगलवार सुबह एक गंभीर हादसा होते-होते टल गया। एक निर्माणाधीन टनल, जो कि मल्याणा से चलोंठी तक फोर लेन के लिए बनाई जा रही थी, अचानक भरभराकर गिर गई। यह घटना शिमला-कालका फोर लेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत संजौली के चलौंठी में टिटरी टनल के निर्माण के दौरान हुई। बारिश के कारण हुए भूस्खलन के चलते टनल के पोर्टल (गेट) के पास मलबा जमा हो गया था। लेकिन शुक्र है कि NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर अचल जिंदल की सूझबूझ और तत्परता के कारण इस हादसे में किसी की जान नहीं गई।
हादसे से पहले की स्थिति
टनल के निर्माण का काम पिछले कुछ समय से तेजी से चल रहा था। सोमवार शाम को, जब निर्माण कार्य जोरों पर था, तो अचानक कुछ पत्थर और मिट्टी टनल के अंदर गिरने लगे। यह एक चेतावनी संकेत था कि कुछ बड़ा हादसा होने वाला है। प्रोजेक्ट मैनेजर अचल जिंदल ने समय रहते इस स्थिति का सही आंकलन किया और तुरंत कार्यस्थल पर तैनात कर्मचारियों और मशीनरी को बाहर निकालने का आदेश दिया। उनकी इस सूझबूझ भरी प्रतिक्रिया ने टनल में काम कर रहे कर्मचारियों की जान बचा ली।
बारिश के कारण उत्पन्न हुए खतरे
शिमला और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और मिट्टी के धंसने की घटनाएं आम हो गई हैं। हेलीपेड के पास स्थित इस टनल के निर्माण के दौरान भी भारी बारिश के कारण मिट्टी और पत्थरों का धंसना शुरू हो गया था, जिससे टनल का पोर्टल कमजोर हो गया। बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने टनल के पोर्टल पर दबाव डाला, जिसके चलते टनल भरभराकर गिर गई। हालांकि, समय रहते सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन इस घटना ने लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है।
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं
यह घटना सिर्फ शिमला तक सीमित नहीं है। हिमाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी बारिश के कारण भूस्खलन और बादल फटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। 31 जुलाई की मध्यरात्रि को हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे व्यापक तबाही मची। इस बाढ़ में अब तक 26 लोगों की जान जा चुकी है, और कई लोग अब भी लापता हैं। शिमला जिले के सुन्नी कस्बे के पास डोगरी इलाके में चार शव बरामद किए गए हैं। इस भयानक घटना ने राज्य में भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को उजागर कर दिया है।
बारिश और भूस्खलन से होने वाला नुकसान
हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन के कारण हुए नुकसान का आकलन किया गया है। 27 जून से 8 अगस्त के बीच हुई बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक कुल 100 लोगों की जान जा चुकी है, और राज्य को करीब 802 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस आपदा ने राज्य की सड़कों, पुलों, और अन्य बुनियादी ढांचों को बुरी तरह प्रभावित किया है। विशेष रूप से शिमला और कुल्लू जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित समेज गांव को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जहां लगभग 20 लोग अभी भी लापता हैं।
टनल गिरने की घटना से सबक
शिमला में टनल गिरने की इस घटना से यह साफ हो गया है कि निर्माण कार्यों के दौरान मौसम की स्थिति का ध्यान रखना कितना महत्वपूर्ण है। भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए परियोजनाओं में पर्यावरणीय कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है। इस घटना ने न केवल निर्माण कार्यों में शामिल लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि कैसे सही समय पर सही निर्णय लेकर कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
शिमला में निर्माणाधीन टनल गिरने की इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। प्रोजेक्ट मैनेजर अचल जिंदल की सूझबूझ और तत्परता ने एक बड़ा हादसा होने से बचा लिया। हालांकि, यह घटना एक चेतावनी के रूप में सामने आई है, जो हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमें हर समय सतर्क रहना होगा। हिमाचल प्रदेश में हो रही लगातार बारिश और भूस्खलन की घटनाओं ने राज्य के बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया है, और यह जरूरी है कि आगे के निर्माण कार्यों में इन खतरों का ध्यान रखा जाए।