प्यार को कोई सरहद नहीं रोक सकती, ना ही उसे किसी बंधन में बांधा जा सकता है। इसका ताजा उदाहरण हाल में ही देखने को मिला जब पाकिस्तान की 33 वर्षीय मेहविश ने अपने सारे बंधन तोड़कर राजस्थान के चूरू जिले के गांव पिथिसर के रहने वाले रहमान से निकाह कर लिया। इस्लामाबाद की रहने वाली मेहविश ने प्यार के लिए अपने दो बच्चों और देश को छोड़ दिया।
प्यार की शुरुआत
मेहविश का जन्म पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। जब वह मात्र दो साल की थी, तब उसकी मां का निधन हो गया। लगभग 15 साल पहले उसके पिता जुल्फिकार का भी इंतकाल हो गया। इसके बाद वह अपनी बहन साहिमा के पास इस्लामाबाद आ गई। यहां उसने ब्यूटी पार्लर का काम सीखा और पिछले 10 साल से यही काम कर रही थी। साल 2006 में मेहविश की शादी लाहौर के बादामी बाग के एक व्यक्ति से हुई, जिससे उसके दो बेटे हुए। हालांकि, शादी के बाद उसके पति ने उसे छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली। उनका तलाक 2018 में हुआ।
इमो पर मिली जिंदगी का साथी
2020 में मेहविश की जिंदगी में नया मोड़ आया जब उसकी मुलाकात चूरू के पिथिसर निवासी रहमान से हुई। दोनों की मुलाकात इमो (IMO) ऐप पर हुई और धीरे-धीरे उनके बीच प्यार परवान चढ़ने लगा। दोनों ने मोबाइल पर बातें करनी शुरू की और एक-दूसरे के करीब आ गए। मेहविश ने अपने बहन और बहनोई से बातचीत कर रहमान को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। 2022 में, मेहविश ने रहमान से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए शादी कर ली।
मक्का में हुआ निकाह
रहमान कुवैत में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता है। 2023 में मेहविश उमरा के लिए मक्का गई, जहां रहमान भी पहुंच गया और दोनों ने मक्का में निकाह कर लिया। यह निकाह एक नए जीवन की शुरुआत थी, जिसमें दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमे खाईं।
रहमान का परिवार और पिछली शादी
रहमान की पहली शादी 2011 में भादरा की फरीदा से हुई थी, जिससे उसके दो बच्चे हैं। हालांकि, शादी के बाद रहमान और फरीदा के बीच अनबन हो गई और फरीदा अपने पीहर भादरा में रह रही है। 2022 में जब रहमान और मेहविश ने अपनी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, तब रहमान के परिवार को उसकी दूसरी शादी के बारे में पता चला।
मेहविश का भारत आगमन
25 जुलाई की शाम, मेहविश अपने परिवार के साथ इस्लामाबाद से रवाना हुई और बाघा बॉर्डर पहुंची। पाकिस्तान और भारतीय सेना ने उसके दस्तावेजों की जांच की। मेहविश 45 दिनों के टूरिस्ट वीजा पर भारत आई है। उसके ससुराल के लोग बाघा बॉर्डर पर उसका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मेहविश को निजी वाहन से सरदारशहर लाया और फिर उसे गांव पिथिसर ले गए।
रतननगर थाना में पूछताछ
रतननगर थाना अधिकारी जय प्रकाश यादव ने मेहविश से गहनता से पूछताछ की और उसके पासपोर्ट, वीजा आदि दस्तावेजों की जांच की। जब पासपोर्ट में लगी फोटो देखकर थानाधिकारी ने कहा कि क्या यह फोटो तुम्हारी है तो मेहविश ने जवाब दिया, “पाकिस्तान की सरकार झूठ नहीं बोलती, यह फोटो मेरी है।” तब उसने अपना मास्क उतार कर चेहरा दिखाया।
प्यार की जीत
मेहविश और रहमान की यह कहानी प्यार की जीत है, जिसने सभी बाधाओं को पार कर लिया। मेहविश ने अपने देश, बच्चों और पुरानी जिंदगी को छोड़कर नए जीवन की शुरुआत की। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सच्चा प्यार किसी भी सीमा और बंधन को तोड़ सकता है।
मेहविश और रहमान की यह कहानी केवल एक प्यार की कहानी नहीं है, बल्कि यह साबित करती है कि प्यार में न तो सरहदें मायने रखती हैं और न ही समाज के बनाए गए नियम। मेहविश ने अपने प्यार के लिए जो त्याग किया है, वह सच्चे प्यार का एक अनूठा उदाहरण है। उनकी यह कहानी आने वाले समय में भी प्यार और समर्पण की मिसाल के रूप में याद की जाएगी।