2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई और लगभग 35 लोग घायल हो गए। इस दुखद घटना के बाद राज्य सरकार ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया, जिसने इस हादसे की जांच की और अपनी 300 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु और निष्कर्ष सामने आए हैं।
हादसे की मुख्य वजह

SIT की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे का मुख्य कारण सत्संग में हद से ज्यादा भीड़ थी। स्थानीय प्रशासन ने इस कार्यक्रम में सिर्फ 80,000 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन आयोजन में 2 लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए। जब भगदड़ मची तो धक्का-मुक्की में सभी एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे और नीचे दबने के कारण 121 लोगों की मौत हो गई। SIT ने आयोजकों को भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
119 लोगों के बयान

SIT ने अपनी रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग घटनास्थल पर मौजूद थे और उन्होंने SIT को आंखों देखा हाल सुनाया है। इसके अलावा, हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार, एसपी निपुण अग्रवाल और एसडीएम समेत कई आला अफसरों के बयान भी लिए गए हैं।
हादसा टल सकता था
SIT की रिपोर्ट के अनुसार, यदि सत्संग में भीड़ अधिक नहीं होती तो शायद यह हादसा टल सकता था। 2 जुलाई को घटना के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी मौके पर तैनात थे। उन पुलिसकर्मियों ने भी SIT को पूरी कहानी बयां की है। इसके अलावा, पीड़ित परिवारों के बयान भी रिपोर्ट में शामिल हैं।
सत्संग में क्यों मची भगदड़?

बाबा सूरजपाल का सत्संग 2 जुलाई को हाथरस में आयोजित किया गया था। सत्संग में बाबा के लाखों अनुयायी शामिल थे। सत्संग में मौजूद लोगों की मानें तो बाबा ने परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए चरण रज लेने का ऐलान किया और कार में सवार होकर वहां से निकल पड़े। बाबा के पीछे अनुयायियों की भीड़ भी उनके चरणों की धूल लेने दौड़ी और वहां भगदड़ मच गई।
SIT रिपोर्ट की मुख्य बातें
1. आयोजकों की जिम्मेदारी: SIT ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है।
2. बड़ी साजिश की संभावना: जांच समिति ने अब तक हुई जांच और कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
3. प्रशासनिक लापरवाही: SIT ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही की गई है।
4.अनुमति की प्रक्रिया: उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया।
5. कार्यक्रम की गंभीरता: उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश की है।
6. आयोजन की अनुमति: आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त और सुचारु व्यवस्था नहीं की गई।
7. अव्यवस्था फैलाने वाले: आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली।
8. पुलिस के साथ दुर्व्यवहार: आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया।
9. सुरक्षा प्रबंध की कमी: सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए।
10. बाबा सूरजपाल का नाम गायब: SIT की इस रिपोर्ट में नारायण साकार विश्व हरि उर्फ बाबा सूरजपाल का नाम शामिल नहीं है। रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, लेकिन बाबा को घटना का मुख्य आरोपी नहीं माना गया है।
बाबा का सेवादार गिरफ्तार

घटना के चौथे दिन 6 जुलाई को पुलिस ने बाबा सूरजपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज की। हालांकि इससे पहले 5 जुलाई को बाबा के करीबी देव प्रकाश मधुकर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। देव प्रकाश को ही घटना का मुख्य आरोपी बताया गया है। पुलिस का कहना है कि देव प्रकाश ने ही ये सत्संग आयोजित करवाया था और उसे बाबा का सबसे बड़ा राजदार माना जाता है।
बाबा के वकील का दावा
बाबा सूरजपाल के वकील एपी सिंह ने दावा किया है कि किसी अज्ञात शख्स ने सत्संग खत्म होने के बाद हवा में जहर फैला दिया। जिसके कारण कई लोग बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े और उनकी जान चली गई। उनका कहना है कि इस हादसे को एक साजिश के तहत अंजाम दिया गया।
SIT की रिपोर्ट में हादसे के कई पहलुओं का खुलासा हुआ है और कई सवाल भी उठे हैं। यह स्पष्ट है कि सत्संग के आयोजन में गंभीर लापरवाहियां हुईं, जिसके कारण यह दुखद हादसा हुआ। प्रशासन और आयोजकों की मिलीभगत और अव्यवस्था ने इस हादसे को और भी गंभीर बना दिया। अब देखना होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस मामले में क्या कदम उठाती है और दोषियों को क्या सजा मिलती है।