रविवार को दिल्ली से मेरठ तक की सड़कों पर सियासी आंदोलन की धूम थी। इस दिन रामलीला मैदान में एक भयानक जमावड़ा देखा गया जहां विपक्षी दलों ने आम जनता के साथ उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक साथ खड़ा होकर अपने मांगों को उजागर किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में लोगों ने रामलीला मैदान में एकत्रित होकर अपनी आवाज़ उठाई।

रामलीला मैदान में विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद थे, जिनमें कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी, उनके पुत्र राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जैसे महत्वपूर्ण नेता शामिल थे। इसके अलावा, कई और दिग्गज नेता भी मौजूद थे जो अपनी आवाज़ उठाने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे।

इस आंदोलन के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को चुनाव में हेराफेरी करने के उद्देश्य से विपक्षी दलों के खिलाफ जांच एजेंसियों द्वारा की जानी वाली कार्रवाई रोकनी चाहिए।

सोनिया गांधी ने भी लोगों को एकजुट होकर लड़ने की अपील की और कहा कि अत्याचार और न्याय की अदालत से दूरी रखने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। वह आगे बढ़कर अरविंद केजरीवाल की समर्थन में खड़ी उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को भी समर्थन दी।

साथ ही, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उन्हीं बातों को और भी गहराई से दिया। उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी और उनकी विचारधारा को सत्ता से नहीं हटाया जाएगा, तब तक देश में सुख और समृद्धि नहीं आ सकती। उन्होंने संविधान और लोकसभा चुनाव के दौरान न्याय की अदालत से दूरी रखने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, और विपक्षी दलों को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है।

यह सार्वजनिक समारोह देशभर में एक महत्वपूर्ण संदेश भेजता है कि लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए साथ आए और सामान्य जनता के हित में उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, विपक्षी दलों की एकता और साहस दिखाता है कि वे सरकार के खिलाफ उनकी गलत नीतियों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं और लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए लड़ने के लिए उनकी तैयारी है।