ब्रिटेन में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों ने देश की राजनीति में बड़े बदलाव किए हैं। लेबर पार्टी ने 14 साल बाद ऐतिहासिक जीत हासिल की है। 650 सीटों में से 412 सीटें जीतकर लेबर पार्टी ने प्रचंड वापसी की है, जबकि कंजरवेटिव पार्टी को केवल 121 सीटें मिलीं। इस चुनाव में भारतीय मूल के लोगों ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ब्रिटेन की राजनीति में भारतीय समुदाय की बढ़ती अहमियत है।
लेबर पार्टी की ऐतिहासिक जीत

लेबर पार्टी की इस शानदार जीत के पीछे कई कारक हैं। सबसे प्रमुख कारणों में से एक कंजरवेटिव पार्टी की सरकार की विफलताएं और लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर की प्रभावी नेतृत्व क्षमता है। लेबर पार्टी ने चुनावी अभियान के दौरान जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया और उनके समाधान के लिए ठोस योजनाएं प्रस्तुत कीं। इस चुनाव में लेबर पार्टी के कई उम्मीदवारों ने पहली बार संसद में प्रवेश किया है, जिससे पार्टी के लिए नए और युवा नेताओं का उदय हुआ है।
भारतीय मूल के सांसदों की रिकॉर्ड संख्या
इस चुनाव में भारतीय मूल के 28 सांसद चुने गए हैं, जिसमें 12 सिख सांसद भी शामिल हैं। यह पहली बार है जब इतने बड़े संख्या में सिख सांसद ब्रिटेन की संसद में चुने गए हैं। यह केवल ब्रिटेन के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय समुदाय की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कनाडा के बाद अब ब्रिटेन वह देश बन गया है जहां सबसे अधिक सिख सांसद हैं।
सिख समुदाय के सांसद

इस चुनाव में चुने गए सिख सांसदों में से कई ने पहली बार संसद में प्रवेश किया है। तनमनजीत सिंह ढेसी ने लगातार तीसरी बार बर्मिंघम एजबेस्टन और स्लॉ में लेबर के लिए अपनी सीटें जीतीं। नादिया व्हिटोम ने लगातार दूसरी बार नॉटिंघम ईस्ट से जीत हासिल की, जो खुद को क्वीर और कैथोलिक सिख मानती हैं। व्हिटोम 2019 में 23 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं, जो हाउस ऑफ कॉमन्स में सबसे कम उम्र की सांसद भी थीं।
महिला सांसदों की बढ़ती संख्या

ब्रिटेन में चुने गए 28 भारतीय सांसदों में 6 महिलाएं भी शामिल हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय समुदाय में महिलाओं की सक्रियता और भागीदारी लगातार बढ़ रही है। इन महिला सांसदों ने न केवल अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व किया है, बल्कि पूरे ब्रिटेन में महिलाओं की स्थिति को भी सशक्त किया है।
भारतीय मूल के सांसदों की भूमिका

भारतीय मूल के सांसदों ने ब्रिटेन की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय समुदाय के मुद्दों को उठाया और उनके समाधान के लिए काम किया है। इन सांसदों ने ब्रिटेन और भारत के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है।
भविष्य की दिशा
ब्रिटेन की राजनीति में भारतीय मूल के लोगों की बढ़ती भागीदारी केवल शुरुआत है। आने वाले समय में यह भागीदारी और भी बढ़ेगी। भारतीय समुदाय ने शिक्षा, व्यापार, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब राजनीति में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। यह ब्रिटेन की राजनीति को और भी समृद्ध और विविधतापूर्ण बनाएगा।
ब्रिटेन में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों ने देश की राजनीति में एक नया अध्याय खोला है। लेबर पार्टी की ऐतिहासिक जीत और भारतीय मूल के सांसदों की बढ़ती संख्या ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ब्रिटेन की राजनीति में भारतीय समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह केवल ब्रिटेन के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भविष्य में भी भारतीय समुदाय की भागीदारी और भी बढ़ेगी और वे ब्रिटेन की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।