सुप्रीम कोर्ट की एक अहम सुनवाई में, न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता में और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान सहित पांच राज्यों से वायु प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है, इस पर ध्यान केंद्रित किया।
अदालत ने राज्यों से वायु प्रदूषण के समाधान के लिए उनकी तैयारी पर विस्तार से चर्चा की और उन्हें विवरण प्रस्तुत करने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उपायों की विवरण सुनने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई को सात नवंबर को निर्धारित किया है। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट विभिन्न राज्यों से आए तथा सरकारी अधिकारियों से एक विस्तृत योजना की अपेक्षा करेगा, जिसमें उन्हें वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कैसे कदम उठाने की योजना है।
उपायों में संगठित रूप से प्रदूषण कम करने, प्रदूषण नियंत्रण कार्रवाईयाँ लेने, और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने जैसे कदमों को शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के बढ़ते हुए खतरे के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए चिंता जताते हुए उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ आत्मसमर्पण की भावना से समझाने का भी प्रयास किया है।
यह सुनवाई वायु प्रदूषण को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे राज्यों को अपनी निगरानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इस समय में, जब भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो रही है, सुप्रीम कोर्ट की इस कदम से समस्या का समाधान करने की कोशिश की जा रही है ताकि लोग स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें।