तमिलनाडु के एक आदिवासी महिला ने ऐतिहासिक पहल की है और सिविल जज के पद पर पहली बार सिविल जज बनने का गौरव प्राप्त किया है। उनका नाम श्रीपति है और वह तमिलनाडु के पिछड़े इलाकों से हैं। इनका सफर बहुत ही अनोखा और प्रेरणादायक है तमिलनाडु में एक आदिवासी महिला ने पहली बार सिविल जज की पदस्थापना की है, जो एक अत्यंत प्रेरणादायक कथा है। उन्होंने परीक्षा से दो दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया था। उनके उपलब्धि पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर बधाई दी और उनकी कड़ी मेहनत की सराहना की।
श्रीमती श्रीपति ने अपनी 23 वर्षीय आयु में सिविल जज की परीक्षा पास की है। वे तिरुवन्नामलाई जिले के जव्वादुमलाई के पुलियूर गांव से हैं। मुख्यमंत्री ने इसे तमिलनाडु के ड्रविड़ीयन मॉडल के माध्यम से हुए उनके सफलता का उदाहरण माना। उन्होंने श्रीपति के परिवार को भी धन्यवाद दिया, जो उन्हें सहारा और समर्थन प्रदान किया।।
श्रीपति की कहानी में एक विशेष बात यह है कि उन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के दौरान भी एक बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए परिश्रम किया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने श्रीपति की उपलब्धि को सराहा और उनके परिवार के साथ गर्व किया। उन्होंने इस उपलब्धि को तमिलनाडु के ‘Dravidian Model’ के माध्यम से हासिल किया होने का खास जिक्र किया। इसमें सरकार द्वारा तमिल में शिक्षित लोगों के लिए सरकारी नौकरियों की प्राथमिकता दी जाती है।
उदयनिधि स्टालिन, जो तमिलनाडु के खेल मंत्री हैं, ने भी श्रीपति की उपलब्धि को सराहा और उन्हें बधाई दी। उन्होंने श्रीपति के परीक्षा देने के लिए किए गए उनके साहसिक कदम की सराहना की और उनकी सफलता की कामना की।

श्रीपति ने सिविल जज की परीक्षा के लिए 250 किलोमीटर दूर चेन्नई में परीक्षा दी थी, और उनकी प्रतिभा और परिश्रम ने उन्हें इस उच्च पद की प्राप्ति में सफल बनाया। उनके रिश्तेदारों ने उनकी सफलता को खुशी मनाई और उनका स्वागत किया, जिसमें उन्हें ढोल और माला से सम्मानित किया गया।
श्रीपति ने अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत की है, और उनकी इस सफलता से हमें सबक मिलता है कि किसी भी मुश्किल को पार करने के लिए सही मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है। उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कोई भी लक्ष्य संगीन मेहनत और निरंतर प्रयासों से हासिल किया जा सकता है।