पाकिस्तान में हिंदू धर्म के पवित्र स्थल हिंगलाज माता के मंदिर का तोड़ा जाना, जो कि यूनेस्को की धरोहर की लिस्ट में भी शामिल है, ने वहां के हिंदू समुदाय को नाराज कर दिया है। पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति दिन-ब-दिन चुनौतीपूर्ण हो रही है, जैसे कि सिंध के हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ा गया है। यह मंदिर यूनेस्को की धरोहर की सूची में भी शामिल है।
इस घटना के बाद, वहां रहने वाले हिंदू समुदाय ने नाराजगी जताई और नारे लगाए। इसमें दिखाई देने वाली नाराजी और आत्मसमर्पण की भावना ने स्थानीय लोगों को एकता में जोड़ा। पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के साथ ऐसे घटनाएं पहले भी हुई हैं, जो एक सांस्कृतिक और धार्मिक सामूहिकता को दूषित करती हैं।
हिंगलाज माता मंदिर का तोड़ा जाना एक अन्य उदाहरण है, जहां पाकिस्तान में हिंदू धर्म के स्थलों को बचाने की रक्षा की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, ऐसी कार्रवाई से हिंदू समुदाय की आत्मसमर्पण की भावना भी कमजोर हो रही है।
यहां एक और सांदर्भिक घटना है, जिसमें शारदा पीठ मंदिर को तोड़ा गया, जो कि यूनेस्को साइट है। यह स्थान सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट करने की प्रक्रिया में है, जिससे सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता पर गहरा दुःख हो रहा है।
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय को बार-बार इस तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी भावनाओं को आहत करते हैं और सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाते हैं। पाकिस्तान सरकार को इस प्रकार की घटनाओं पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि हिंदू समुदाय को सुरक्षित महसूस कर सके और सांस्कृतिक समृद्धि में योगदान कर सके।
CNN न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक एलओसी यानी लाइन आफ कंट्रोल के पास हिंदुओं के एक और धार्मिक स्थल, शारदा पीठ मंदिर को तोड़ा गया। इस मंदिर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुरक्षा के आदेश के बावजूद तोड़ा गया। मंदिर के करीब एक कॉफी हाऊस बनाया जा रहा है, जिसका उद्घाटन इसी साल होना है। पाकिस्तान में हिंदुओं पर होने वाला यह अत्याचार कोई नई घटना नहीं है। यहां रहने वाले हिंदुओं को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक यूनेस्को साइट होने के बावजूद शारदा पीठ ध्वस्त होने से नहीं बच पाया है। यह विध्वंस पाकिस्तान में सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की रक्षा को लेकर सवाल उठाता है। इससे पहले जुलाई में भी एक मंदिर को तोड़ दिया गया था। कराची में मरीमाता का मंदिर जमींदोज कर दिया गया था। मंदिर को ध्वस्त तब किया गया, जब पूरे इलाके में लाइट नहीं थी। बाहरी दीवार और गेट को छोड़कर अंदर का पूरा ढांचा तोड़ दिया गया था।