उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुए बस हादसे के बाद सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए बस मालिक समेत तीन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई थी और 19 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद योगी सरकार ने 35 बसों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है, जिन्हें बिना फिटनेस और परमिट के चलाया जा रहा था।
जांच में पाया गया कि हादसे में शामिल हुई बस महोबा जिले के आरटीओ में दर्ज थी और इसके मालिक के नाम पर 39 बसें रजिस्टर्ड थीं, जिनमें से 35 बसें बिना फिटनेस और परमिट के चल रही थीं। इस मामले में ट्रैवल्स एजेंसी के मालिक और ठेकेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।
बुंदेलखंड के महोबा से लेकर दिल्ली और बिहार तक बसों के संचालन में एक बड़ा सिंडिकेट चल रहा था, जिसमें विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह खुलासा हादसे के बाद सामने आया है।
इस घटना के बाद उन्नाव जिले की पुलिस ने बसों के मालिक पुष्पेंद्र सिंह के खिलाफ कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही, ट्रैवल्स एजेंसी के मालिक एमएस केसी जैन और बस संचालक ठेकेदार चंदन जायसवाल के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की गई है।
इस हादसे के बाद योगी सरकार ने तेजी से कार्रवाई की है और सुनिश्चित किया गया है कि ऐसी घटनाएं फिर से न हों। बसों के संचालन में अनियमितताओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होने के साथ-साथ, यातायात नियमों का पालन करने की भी जिम्मेदारी साझा की गई है।
उन्नाव बस हादसे ने बड़ी गंभीरता से सामने आए सुरक्षा और यातायात नियमों की उल्लंघन को लेकर, जिसके बाद सरकार ने त्वरित कदम उठाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। यह एक सख्त संदेश है कि अनियमितताओं और बिना परमिट वाली बसों के संचालन को बंद किया जाएगा और सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।